क्या मध्य प्रदेश के शूटर कुशाग्र ने टोक्यो में कांस्य पदक जीता?
सारांश
Key Takeaways
- कुशाग्र ने टोक्यो में कांस्य पदक जीता।
- 50 मीटर राइफल प्रोन स्पर्धा में उत्कृष्ट प्रदर्शन।
- राज्य सरकार की खेल नीतियों का सकारात्मक प्रभाव।
- अकादमी का योगदान और कोचिंग का महत्व।
- अनुशासन और एकाग्रता से मिली सफलता।
भोपाल, 19 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। टोक्यो में आयोजित 25वीं समर डेफलिंपिक से एक शानदार खबर सामने आई है। मध्य प्रदेश राज्य शूटिंग अकादमी के प्रतिभाशाली शूटर कुशाग्र सिंह राजावत ने 50 मीटर राइफल प्रोन (पुरुष वर्ग) प्रतियोगिता में अद्वितीय प्रदर्शन करते हुए व्यक्तिगत कांस्य पदक प्राप्त किया।
कुशाग्र ने इस प्रतियोगिता में अपनी उत्कृष्ट तकनीक, धैर्य और सटीकता का उदाहरण पेश किया। उन्होंने कड़ी अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में भी संतुलित खेल का प्रदर्शन करते हुए पदक तालिका में अपनी जगह बनाई, जिससे देश और प्रदेश का मान बढ़ा।
यह जानकारी मिली है कि राज्य के खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा संचालित एमपी शूटिंग अकादमी में खिलाड़ियों को विश्वस्तरीय प्रशिक्षण, आधुनिक सुविधाएं और विशेषज्ञ कोचिंग प्रदान की जाती है। अकादमी द्वारा दिए गए व्यवस्थित प्रशिक्षण और वैज्ञानिक पद्धतियों के परिणामस्वरूप खिलाड़ी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम हो रहे हैं।
कुशाग्र के इस महत्वपूर्ण सफलता में अकादमी के कोचों, तकनीकी विशेषज्ञों और सपोर्ट स्टाफ की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। राज्य के सहकारिता, खेल एवं युवा कल्याण मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने कुशाग्र को इस उत्कृष्ट उपलब्धि पर बधाई देते हुए कहा कि कुशाग्र ने अनुशासन, एकाग्रता और उच्च स्तरीय प्रशिक्षण के बल पर अंतर्राष्ट्रीय मंच पर मध्य प्रदेश का परचम लहराया है।
मंत्री सारंग ने कहा कि यह उपलब्धि प्रदेश के अन्य युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणास्रोत है और यह दर्शाती है कि उचित मार्गदर्शन और निरंतर अभ्यास से विश्व स्तर पर उल्लेखनीय प्रदर्शन किया जा सकता है।
उन्होंने आशा व्यक्त की कि कुशाग्र भविष्य में भी देश और प्रदेश का गौरव बढ़ाते रहेंगे। राज्य सरकार द्वारा खेल अवसंरचना विकास, उच्च स्तरीय प्रशिक्षण, खेल छात्रवृत्ति और अंतर्राष्ट्रीय अवसरों की उपलब्धता जैसी पहलों का निरंतर कार्यान्वयन हो रहा है, जिसके परिणामस्वरूप खिलाड़ियों की उपलब्धियां अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में सामने आ रही हैं।
कुशाग्र सिंह राजावत का यह पदक उनकी व्यक्तिगत मेहनत और समर्पण के साथ-साथ मध्य प्रदेश की खेल नीतियों और अकादमी प्रणाली की प्रभावशीलता का भी प्रमाण है।