क्या आतंकवाद का विरोध करना असली जिहाद है? 30 साल से कर रहे हैं: जमीयत प्रमुख मदनी (आईएएनएस एक्सक्लूसिव)
सारांश
Key Takeaways
- जिहाद का असली मतलब समझना आवश्यक है।
- आतंकवाद का विरोध करना असली जिहाद है।
- राजनीति में धर्म का उपयोग सही नहीं है।
- सभी धर्मों में जिहाद का अध्ययन होना चाहिए।
- संचार साथी ऐप पर सावधानी बरतने की जरूरत है।
नई दिल्ली, 3 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। जमीयत-उलेमा-हिंद के प्रमुख मौलाना मदनी ने राष्ट्र प्रेस से विशेष बातचीत की। इस दौरान उन्होंने इस्लाम, जिहाद, दिल्ली आतंकी हमले, मुस्लिम वोटबैंक और संचार साथी ऐप जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर बेबाकी से जवाब दिए।
सवाल- भोपाल मीटिंग्स के दौरान आपकी कई बातें सामने आईं। जिहाद पर आपने कहा, यह कौम के लिए कितना आवश्यक है?
जवाब- जिहाद देश के लिए आवश्यक है। देश के लोगों को समझना चाहिए कि जिहाद क्या है, इसके विभिन्न प्रकार क्या हैं, और यह कब किया जा सकता है। जिहाद एक धार्मिक और पवित्र शब्द है। यदि किसी को इस्लाम से समस्या है, तो उसे स्पष्ट रूप से कहना चाहिए कि वह इस्लाम का विरोधी है। तब उसे जिहाद को गाली बनाने का हक है।
जो लोग अपने धर्म का अनादर करते हैं और दूसरे धर्मों को गालियाँ देते हैं, उन्हें मैं चेतावनी देता हूँ कि वे देश में आतंकवाद फैला रहे हैं। यह हमारे देश के दुश्मनों के एजेंडे का हिस्सा है। जिहाद को सभी धर्मों में पढ़ाया जाना चाहिए।
सवाल- मुस्लिम वोट क्यों बंट रहा है?
जवाब- मुझे इसके बारे में जानकारी नहीं है। यह राजनीतिक मुद्दा है, और मैं राजनीति में ज्यादा नहीं जाता।
सवाल- लाल किले के पास हुए आतंकी हमले पर आपकी क्या राय है?
जवाब- कानून प्रवर्तन एजेंसियाँ अपना काम कर रही हैं। घटना की हम सख्त निंदा करते हैं। यह मानवता पर हमला है, और यदि इसे इस्लाम के नाम पर किया जा रहा है, तो यह हमारे धर्म पर भी हमला है। हमें इन घटनाओं का विरोध करना चाहिए। हम 30 साल से इस प्रकार की घटनाओं का विरोध कर रहे हैं। असली जिहाद हम कर रहे हैं।
सवाल- क्या कांग्रेस पार्टी मुसलमानों के लिए मददगार है?
जवाब- मैं किसी भी मुख्यधारा की पार्टी से यह नहीं अपेक्षा करता कि वह केवल मुसलमानों के लिए काम करे।
सवाल- ओवैसी की लीडरशिप को आप कैसे देखते हैं?
जवाब- राजनीति केवल मुसलमानों के लिए नहीं होनी चाहिए। मुख्य मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए।
सवाल- जिहाद के लिए आपकी क्या रणनीति होगी?
जवाब- हम इसे जारी रखेंगे। हम इस बात का विरोध करते हैं कि कुछ नेता 'जिहाद' शब्द का प्रयोग करके इस्लाम को बदनाम करते हैं।
सवाल- संचार साथी ऐप पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
जवाब- यह ऐप कभी भी डिलीट किया जा सकता है। इसे अनिवार्य नहीं बनाया जाना चाहिए।
—राष्ट्र प्रेस
एससीएच/एएस