क्या अभद्र भाषा का इस्तेमाल 'उनकी' संस्कृति हो सकता है, लेकिन भारत माता की नहीं?: प्रमोद तिवारी

सारांश
Key Takeaways
- भाषा का महत्व: सांसदों को अपनी भाषा पर ध्यान देना चाहिए।
- लोकतंत्र का सम्मान: अभद्र भाषा का प्रयोग लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर करता है।
- राजनीतिक जिम्मेदारी: नेताओं को अपने शब्दों के प्रति जिम्मेदार होना चाहिए।
- बिहार की स्थिति: हत्या की घटनाएं चिंता का विषय हैं।
- संविधान का सम्मान: संवैधानिक संस्थाओं का सम्मान होना चाहिए।
नई दिल्ली, ८ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र में 'भाषा' को लेकर उत्पन्न विवाद अब देश की राजनीति का मुख्य विषय बन गया है। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने राज ठाकरे को चुनौती देते हुए कहा कि यदि वे बिहार-यूपी में आएंगे तो उन्हें पटक-पटक कर पीटेंगे। इस बयान पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।
कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने निशिकांत दुबे के बयान पर टिप्पणी करते हुए कहा, "मैं केवल एक बात कहना चाहता हूं। एक सांसद की भाषा और एक गुंडे की भाषा में एक स्पष्ट अंतर होना चाहिए। यह सांसद की भाषा नहीं है, न ही यह संसदीय भाषा है। यदि आपको अपनी बात कहनी है, तो शब्दों और विचारों का इस्तेमाल करें। 'पटक-पटक कर मारना' या अभद्र भाषा का प्रयोग करना, यह भाजपा की संस्कृति हो सकती है, लेकिन यह भारत माता की नहीं है।"
प्रमोद तिवारी ने राजद नेता तेजस्वी यादव के बयान पर भी कहा, "आधार का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट तक गया। सरकार ने जोरशोर से दावा किया था कि आधार कार्ड हर चीज के लिए एक केंद्रीय आधार है। अब सरकार पीछे हट रही है, जो बेतुका है। हमने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है और जन अदालत में भी चुनौती देंगे। साथ ही इसे संसद में भी उठाएंगे। जिस तरह से भाजपा संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग कर रही है, उसे हम चुनौती देंगे।"
बिहार के पूर्णिया में एक ही परिवार के पांच सदस्यों को जिंदा जलाकर मारने की घटना की कांग्रेस नेता ने निंदा की है। उन्होंने कहा, "२४ घंटे में ९ हत्याएं, क्या बिहार में जंगलराज के अलावा कुछ बचा है? रोज किसी पूंजीपति, व्यापारी या सामान्य नागरिक की हत्या हो रही है। मैं पूछता हूं कि क्या नीतीश कुमार जाग रहे हैं या भाजपा ने उन्हें अचेत कर दिया है। हम नीतीश कुमार को वर्षों से जानते हैं, इसलिए उनसे पूछना चाहते हैं कि उन्होंने बिहार में ऐसा क्या कर दिया, जिससे ९-९ हत्याएं २४ घंटे में हो रही हैं। मैं मांग करता हूं कि नीतीश और भाजपा सरकार को त्यागपत्र देना चाहिए, क्योंकि वे बिहार नहीं चला रहे हैं और जनता आ रही है।"