क्या अमेरिका द्वारा भारत पर लगाया गया टैरिफ गलत है? रक्षा विशेषज्ञ जी जे सिंह का बयान

सारांश
Key Takeaways
- अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ को गलत बताया गया है।
- भारत और अमेरिका के बीच संबंध हमेशा से मधुर रहे हैं।
- राष्ट्रहितों का ध्यान रखने की आवश्यकता है।
- ग्लोबल शांति का समर्थन आवश्यक है।
- कूटनीति के आधार पर संबंध बनाए रखना चाहिए।
बेंगलुरु, 1 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। पूर्व नेवी अधिकारी और रक्षा विशेषज्ञ जी जे सिंह ने अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए टैरिफ को गलत करार दिया। उन्होंने राष्ट्र प्रेस से चर्चा करते हुए कहा कि अमेरिका हमेशा से भारत का अच्छा साथी रहा है और दोनों देशों के बीच संबंध हमेशा से मधुर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि ये संबंध आगे भी ऐसे ही बने रहें, लेकिन डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से 'मेक अमेरिका ग्रेट अगैन' की नीति पर काम कर रहे हैं। उनका यह निर्णय भारत पर टैरिफ लगाने का, बिलकुल भी उचित नहीं है।
उन्होंने भारत के वैश्विक दृष्टिकोण को स्पष्ट करते हुए कहा कि भारत हमेशा से विश्व शांति का समर्थन करता आया है। हम चाहते हैं कि सभी विवादों का समाधान बिना हिंसा के वार्ता के माध्यम से हो।
जी जे सिंह ने कहा कि किसी भी राष्ट्र का निर्णय अपने राष्ट्रहित को ध्यान में रखते हुए लिया जाना चाहिए। हालाँकि, डोनाल्ड ट्रंप के मन में भारत के प्रति एक अलग धारणा है, और मुझे लगता है कि उन्हें इस धारणा से बाहर निकलकर सोचना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भारत हमेशा अपने राष्ट्रहितों को ध्यान में रखते हुए कार्य करता आया है। उदाहरण के लिए, रूस-यूक्रेन युद्ध के बावजूद भारत ने रूस से तेल खरीदने का निर्णय लिया। यह दर्शाता है कि हम अपने राष्ट्रहितों का ध्यान रखते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमारा रुख रूस-यूक्रेन के प्रति बदल गया है।
उन्होंने शंघाई सहयोग संगठन में वैश्विक नेताओं की एकजुटता पर जोर दिया, यह दर्शाते हुए कि इसने अमेरिका और पूरे यूरोप को यह संदेश दिया है कि वे हर मुद्दे में जबरदस्ती नहीं कर सकते। अमेरिका ने पहले हमारे साथ कई रक्षा समझौते किए थे, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम चीन के खिलाफ हैं; हम तो अपने राष्ट्रहितों को देखते हुए काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हमने अमेरिका को यह संदेश दिया है कि हम आपके दोस्त हो सकते हैं, लेकिन गुलाम नहीं। हम कूटनीति के आधार पर काम करते हैं, और कूटनीति का सिद्धांत यह है कि कोई भी व्यक्ति किसी का स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होता। सभी राष्ट्र अपने राष्ट्रहित को ध्यान में रखते हुए कार्य करते हैं, और हम भी यही करेंगे।