क्या आर्मी के जवानों और अधिकारियों पर कोई दबाव नहीं होता है?: रक्षा विशेषज्ञ
सारांश
Key Takeaways
- भारतीय सेना पर कोई राजनीतिक दबाव नहीं होता है।
- सेना अपने कार्यों पर ध्यान केंद्रित करती है।
- ऑपरेशन सिंदूर में तीनों सेनाओं ने पराक्रम दिखाया।
- राजनीति में सेना को घसीटना गलत है।
- सेना का मॉडर्नाइजेशन हो रहा है।
गुरुग्राम, २ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस नेत्री रेणुका चौधरी द्वारा 'भारतीय सेना पर सरकार का दबाव' के संदर्भ में दिए गए बयान पर रक्षा विशेषज्ञ अरविंद भाटिया ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों को सलाह दी है कि वे इस मुद्दे को समझें।
अरविंद भाटिया ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि सभी राजनीतिक दलों को यह पता होना चाहिए कि भारतीय सेना पाकिस्तानी सेना के खिलाफ एक गैर-राजनीतिक और पेशेवर बल है, जो अपने कार्यों पर ध्यान केंद्रित करता है। उन्होंने रेणुका चौधरी के बयान को पूरी तरह से अस्वीकार किया।
उन्होंने स्पष्ट किया कि आर्मी के जवानों और अधिकारियों पर कोई दबाव नहीं होता है। चर्चा और विमर्श के दौरान इनपुट लिए जाते हैं, लेकिन कार्रवाई के समय किसी का भी दबाव नहीं होता। हमें जो टास्क दिया जाता है, उसी पर हमारा पूरा ध्यान रहता है।
अरविंद भाटिया ने नेताओं द्वारा आरोप लगाने पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और कहा कि भारतीय सेना या सुरक्षाकर्मियों को राजनीतिक मुद्दों में घसीटना गलत है। वर्तमान में मॉडर्नाइजेशन, प्रशिक्षण और तकनीकी उन्नयन किया जा रहा है, जिसमें सुधार हो रहा है।
ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में उन्होंने कहा कि इस ऑपरेशन के दौरान तीनों सेनाओं ने अपनी ताकत दिखाई है। नौसेना ने अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया और भारतीय सेना ने ऐसा घेरा कि पाकिस्तान की सेना अपनी जगह से हिल नहीं पाई।
उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान अंदर और बाहर दोनों तरफ से समस्याओं का सामना कर रहा है। वहां के संगठन जगह-जगह हमले कर रहे हैं।
उन्होंने १९७१ के युद्ध का उल्लेख करते हुए कहा कि उसी तरह की कार्रवाई भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत की थी। जरूरत पड़ी तो इसी तरह की कार्रवाई या इससे बढ़कर फिर से होगी। उन्होंने रक्षा मंत्री के बयान का हवाला देते हुए कहा कि अगर पाकिस्तान ने कोई हिमाकत की, तो अब जो कार्रवाई होगी, उसकी शुरुआत हमारी नौसेना करेगी, जिससे पाकिस्तान में घबराहट बढ़ गई है।