क्या बंगाल की जनता ने सीएम ममता बनर्जी को सत्ता से बाहर करने का मन बना लिया है? - रोहन गुप्ता
सारांश
Key Takeaways
- रोहन गुप्ता ने ममता बनर्जी पर गंभीर आरोप लगाए।
- पश्चिम बंगाल की जनता ने टीएमसी को सत्ता से बाहर करने का मन बना लिया है।
- एसआईआर प्रक्रिया को लेकर धमकी का सहारा लेना लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।
- भाजपा का दावा है कि देशभर में उनका भरोसा बढ़ रहा है।
- 'धुरंधर' फिल्म को लेकर धार्मिक विवाद पर चिंता जताई गई।
अहमदाबाद, 13 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भाजपा के नेता रोहन गुप्ता ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि ममता घबरा गई हैं, इसलिए मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर भ्रम फैलाकर लोगों को डराने का प्रयास कर रही हैं। लेकिन, पश्चिम बंगाल की जनता ने ठान लिया है कि इस बार उन्हें सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाना है।
रोहन गुप्ता ने ममता बनर्जी के एसआईआर से संबंधित बयानों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जब किसी राज्य की मुख्यमंत्री धमकी और डराने-धमकाने का सहारा लेती हैं, तो यह लोकतंत्र के लिए कितना खतरनाक है, इसे समझना आवश्यक है। एसआईआर एक प्रक्रिया है जो देश की चुनावी संस्थाओं द्वारा संचालित होती है, और अगर किसी का नाम नहीं है, तो उसे अपडेट करने के लिए पर्याप्त समय दिया जाता है। हेरफेर के लिए डर या धमकी का उपयोग केवल उनकी मानसिकता को दर्शाता है। वे पारदर्शी प्रणाली से क्यों डरते हैं?
उन्होंने आगे कहा कि टीएमसी पूरी तरह से चिंता में है। उन्हें यह डर है कि अगर नकली या डुप्लीकेट वोट हटा दिए गए, तो उनकी सत्ता संकट में पड़ जाएगी, इसलिए वे एसआईआर के खिलाफ हर प्रकार की डराने-धमकाने की रणनीतियाँ अपना रहे हैं।
जब विपक्ष ने वोट चोरी का मुद्दा उठाया, तो रोहन गुप्ता ने कहा कि देशभर में वोट चोरी के आरोपों को लोग खारिज कर रहे हैं, क्योंकि चाहे उत्तर हो या दक्षिण, भाजपा हर जगह जीत रही है। यह कोई संयोग नहीं है, बल्कि यह भाजपा में लोगों के भरोसे को दर्शाता है। उन्होंने केरल के लोगों का धन्यवाद किया और कहा कि हम इस भरोसे को बनाए रखेंगे।
भाजपा नेता ने यह भी उल्लेख किया कि कई खाड़ी देशों में फिल्म 'धुरंधर' पर बैन लगाया गया है। उन्होंने कहा कि हर चीज को धर्म से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। 'धुरंधर' एक सच्ची कहानी पर आधारित फिल्म है, और किसी भी फिल्म का उद्देश्य दर्शकों के सामने सच्चाई पेश करना होता है। हर चीज, यहां तक कि क्रिएटिविटी को धर्म से जोड़ना गलत है। दर्शकों को यह तय करने का अधिकार होना चाहिए कि क्या सही है और क्या गलत। उनका मानना है कि धर्म के नाम पर क्रिएटिव कार्य का विरोध करना उचित नहीं है।