क्या भारत जोड़ो यात्रा ने देश की राजनीति में बदलाव लाया? जयराम रमेश

सारांश
Key Takeaways
- भारत जोड़ो यात्रा का उद्देश्य सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को उजागर करना था।
- यह यात्रा 4,000 किलोमीटर लंबी थी और 145 दिनों तक चली।
- इसमें राहुल गांधी सहित 200 से अधिक यात्री शामिल हुए।
- कांग्रेस का दावा है कि इससे उनकी राजनीतिक छवि में सुधार हुआ।
- यह यात्रा 7 सितंबर 2022 को शुरू होकर श्रीनगर में समाप्त हुई।
नई दिल्ली, 7 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने रविवार को भारत जोड़ो यात्रा की तीसरी वर्षगांठ पर इसे देश की राजनीति में ‘परिवर्तनकारी मील का पत्थर’ बताया। इस अवसर पर उन्होंने यात्रा के उद्देश्यों और प्रभावों का उल्लेख किया।
जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "भारत जोड़ो यात्रा तीन साल पहले आज ही कन्याकुमारी से आरंभ हुई थी। इस यात्रा के दौरान स्वामी विवेकानंद रॉक मेमोरियल सहित विभिन्न ऐतिहासिक स्थलों का दौरा किया गया और अंत में एक सार्वजनिक सभा का आयोजन किया गया।"
उन्होंने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा का मुख्य उद्देश्य बढ़ती आर्थिक असमानता, सामाजिक ध्रुवीकरण, और राजनीतिक तानाशाही जैसे तीन गंभीर मुद्दों को उजागर करना था। यह 4,000 किलोमीटर की पदयात्रा थी, जिसे राहुल गांधी और 200 से अधिक भारत यात्रियों ने कन्याकुमारी से कश्मीर तक पैदल तय किया। यह 145 दिनों तक चली और 12 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों से गुजरी।
जयराम रमेश ने आगे लिखा, "यह यात्रा हमारे देश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई। इसका प्रभाव आज भी स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।"
जाना जाता है कि भारत जोड़ो यात्रा कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के नेतृत्व में निकाली गई थी। यह यात्रा 145 दिनों में 12 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों को कवर करते हुए की गई थी। यह यात्रा 7 सितंबर 2022 को कन्याकुमारी से शुरू होकर श्रीनगर में समाप्त हुई। कांग्रेस से जुड़े कई प्रमुख नेता इस यात्रा में शामिल हुए थे।
कांग्रेस का दावा है कि इस यात्रा ने राहुल गांधी की राजनीतिक छवि को एक नया दृष्टिकोण दिया और जमीनी स्तर पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं को मजबूती प्रदान की। दूसरी ओर, सत्तारूढ़ दल इसे केवल एक राजनीतिक स्टंट मानता है।