क्या भाजपा बापू को दिल में रखती है? मनरेगा पर दिनेश शर्मा का विपक्ष को जवाब
सारांश
Key Takeaways
- भाजपा बापू के विचारों को अपने कार्यों में शामिल कर रही है।
- मनरेगा का नाम बदलने का उद्देश्य रोजगार में वृद्धि करना है।
- कांग्रेस और भाजपा के बीच विचारधारा का संघर्ष जारी है।
- स्वच्छता अभियान का उद्देश्य बापू के सिद्धांतों को लागू करना है।
- राजनीतिक चर्चा में बापू का नाम महत्वपूर्ण हो गया है।
नई दिल्ली, 17 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। मनरेगा का नाम बदलकर विकसित भारत जी राम जी रखने को लेकर विपक्ष द्वारा उठाए गए हंगामे पर भाजपा सांसद दिनेश शर्मा ने कहा कि भाजपा बापू को दिल में रखती है। भाजपा बापू के विचारों को वास्तविकता में उतारने का कार्य करती है। जब देश में भाजपा की सरकार बनी, तब बापू के स्वच्छता के प्रति दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए स्वच्छता अभियान शुरू किया गया।
नई दिल्ली में भाजपा सांसद दिनेश शर्मा ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "मैं आपको एक बात बताता हूं। कांग्रेस बापू (महात्मा गांधी) का उपयोग केवल पोस्टरों और अपने चुनावों के लिए करती है, जबकि भाजपा उन्हें अपने दिल में रखती है और उनके सिद्धांतों को जमीन पर उतारने का प्रयास करती है। जब से भाजपा सत्ता में आई है, तब से बापू के स्वच्छ भारत अभियान मिशन को पूरे देश में कार्यान्वित किया गया है। अंतरराष्ट्रीय स्वच्छता दिवस को मनाने का भी कार्य किया गया। भाजपा ने बापू के नाम पर कई योजनाएं लागू की हैं। बापू का सपना था कि गरीबों का उत्थान हो, लेकिन कांग्रेस मनरेगा में बापू का नाम डालकर केवल राजनीति करती थी। हमारी सरकार उस योजना को उन्नत कर रही है। गरीबों को 125 दिन तक रोजगार मिलने पर कांग्रेस को आपत्ति क्यों है?"
उन्होंने कांग्रेस को अवसादग्रस्त करार देते हुए कहा कि उनके पास कोई मुद्दा नहीं है, वे मुद्दाविहीन हैं।
वहीं, भाजपा सांसद हेमांग जोशी ने कहा कि कांग्रेस ने भारत की आलोचना करने में कभी संकोच नहीं किया। हमें नहीं पता कि उन्हें ऐसे निर्देश कहां से मिलते हैं, शायद किसी छिपी हुई ताकत से। यही कारण है कि वे ऐसे बयान देते रहते हैं, लेकिन इसी वजह से देश की जनता उन्हें पहचानने लगी है। अगर कांग्रेस सच में मनरेगा का नाम बदलने को इतना जरूरी मानती है तो राहुल गांधी अभी विदेश यात्रा पर क्यों हैं? यह एक सवाल है जिसका जवाब कांग्रेस को देना चाहिए।
भाजपा सांसद संजय जायसवाल ने कहा कि उनकी समस्या यह है कि 100 दिन को बढ़ाकर 125 दिन कर दिया गया है। अब इसका नाम 'विकसित भारत रोजगार और आजीविका गारंटी मिशन-ग्रामीण' हो गया है। इतने लंबे नाम के बाद वे इसे और कितना लंबा करेंगे? यह सरकार का निर्णय है। आपने पहले भी सात बार नाम बदले हैं—पहले यह जवाहर योजना थी, फिर राष्ट्रीय गारंटी योजना। आपने सात बार नाम बदले, और हमने कभी कुछ नहीं कहा। आज, जब इसे एक नए प्रारूप में पेश किया जा रहा है, तो इसे विवादित बनाना निंदनीय है।