क्या विपक्ष के आरोपों पर चुनाव आयोग को स्पष्टीकरण देना चाहिए? : वारिस पठान

सारांश
Key Takeaways
- चुनाव आयोग को स्पष्टता प्रदान करनी चाहिए।
- यह मुद्दा केवल राजनीतिक नहीं है, बल्कि राष्ट्र का सवाल है।
- सरकार के फरमानों पर सवाल उठाना जरूरी है।
- नफरत की राजनीति के खिलाफ आवाज उठाना चाहिए।
- हर नागरिक को वोटिंग प्रक्रिया की पारदर्शिता का अधिकार है।
मुंबई, 11 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। इंडिया गठबंधन के सांसदों ने सोमवार को नई दिल्ली में बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) और कथित 'वोट चोरी' के खिलाफ सदन से चुनाव आयोग की ओर मार्च निकाला। इस मार्च को लेकर एआईएमआईएम नेता वारिस पठान ने कहा कि जब सब कुछ सामने आ रहा है, तो चुनाव आयोग का कर्तव्य है कि वह स्पष्टीकरण दे। यह किसी राजनीतिक दल का सवाल नहीं है। यह लोगों का सवाल है, राष्ट्र का सवाल है।
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मुंबई से सटे कल्याण-डोम्बिवली में मीट की दुकान बंद रखने के आदेश पर वारिस पठान ने कहा कि इस दिन हम सभी भारतीय खुशी के साथ आजादी के पर्व को मनाते हैं। मेरा मानना है कि अभी तक महाराष्ट्र में इस तरह का फरमान कभी भी जारी नहीं किया गया। सरकार को इस आदेश के पीछे की मंशा का जवाब देना चाहिए।
पठान ने कहा कि मेरा सवाल यह है कि यह सरकार गरीबों को क्यों समाप्त करना चाहती है। एक ओर भाजपा सभी के विकास की बात करती है, तो दूसरी ओर इस तरह के फरमान उनकी वास्तविक सोच को उजागर करते हैं। भाजपा केवल नफरत की राजनीति करती है और इस तरह का आदेश इसका जीता-जागता प्रमाण है।
महाराष्ट्र और हरियाणा चुनाव आयोग की तरफ से लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को नोटिस भेजे जाने पर उन्होंने कहा कि इसका जवाब राहुल गांधी को देना है। मैं इस विषय पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकता। राहुल गांधी जो सवाल उठा रहे हैं, उसका जवाब देना चुनाव आयोग का काम है। देश का हर नागरिक जानना चाहता है कि वोटों की चोरी क्यों हो रही है? तमाम चीजों का खुलासा देश की जनता जानना चाहती है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने स्वास्थ्य और शिक्षा के व्यवसायीकरण पर चिंता जताई है। इस मुद्दे पर वारिस पठान ने कहा कि मोहन भागवत जो कह रहे हैं, सरकार को उसे गंभीरता से लेना चाहिए। उनके बोलने का मतलब ही क्या है। वे बोलते कुछ और हैं और सरकार करती कुछ और है। अगर इस तरह की बात है तो कार्रवाई होनी चाहिए। मेरी उनसे अपील है कि वे केवल बयान न दें, जिन बातों को वे कह रहे हैं, उसे लागू करवाकर दिखाएं। मुसलमानों के खिलाफ इन 11 सालों में क्या हुआ, उसे पूरा देश जानता है।