क्या चुनाव आयोग पर सवाल उठाना कांग्रेस की आदत है? : शाहनवाज हुसैन

सारांश
Key Takeaways
- शाहनवाज हुसैन ने राहुल गांधी पर तीखी टिप्पणी की।
- वोटर लिस्ट का पुनरीक्षण एक सामान्य प्रक्रिया है।
- कांग्रेस हार के समय चुनाव आयोग पर सवाल उठाती है।
- राहुल गांधी की राजनीति को पार्ट टाइम करार दिया गया।
- विपक्ष की गरिमा को बनाए रखना आवश्यक है।
नई दिल्ली, 3 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। चुनाव आयोग पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी की टिप्पणियों को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि वोटर लिस्ट का पुनरीक्षण और सत्यापन एक सामान्य प्रक्रिया है, जिस पर राहुल गांधी की आपत्ति समझ से बाहर है।
समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में शाहनवाज हुसैन ने कहा कि जब भी राहुल गांधी को हार का डर सताता है, तब वे चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाने लगते हैं। लेकिन जब जीतते हैं, तो वही आयोग उन्हें बहुत अच्छा लगता है। उन्होंने कर्नाटक, तेलंगाना, हिमाचल जैसे राज्यों और रायबरेली एवं वायनाड जैसे निर्वाचन क्षेत्रों का उदाहरण दिया, जहां कांग्रेस जीतती है। तब राहुल गांधी चुनाव आयोग की प्रशंसा करते हैं, लेकिन हार के समय वे उस पर सवाल उठाते हैं।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता अपनी असफलताओं से मुंह मोड़ते हैं और हमेशा दूसरों पर आरोप लगाने का प्रयास करते हैं। राहुल गांधी एक साल से विपक्ष के नेता हैं, लेकिन संसद में उन्होंने ऐसा कोई महत्वपूर्ण कार्य नहीं किया जिसे लोग याद रखें, बल्कि उन्होंने विपक्ष के नेता की गरिमा को भी कम किया है।
भाजपा नेता ने राहुल गांधी के बयानों को हैरान करने वाला और गैरजिम्मेदाराना बताया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी कभी भारत के सामरिक अभियानों पर सवाल उठाते हैं, तो कभी पाकिस्तान जैसे देशों के सुर में बोलते हैं। उन्होंने तंज करते हुए कहा कि राहुल गांधी पार्ट टाइम राजनीति करते हैं और मोदी जैसे फुल टाइम नेता से मुकाबला नहीं कर सकते।
बिहार में चल रहे वोटर लिस्ट के पुनरीक्षण पर कांग्रेस-राजद गठबंधन की चिंताओं पर भी शाहनवाज ने कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और राजद को हार का डर सताने लगा है, इसलिए वे चुनाव आयोग पर दोषारोपण कर रहे हैं।
शाहनवाज ने कहा कि एक समय था जब विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी, सुषमा स्वराज और लालकृष्ण आडवाणी जैसे कद्दावर होते थे। उनकी बातों में वजन था। लेकिन आज राहुल गांधी जैसे नेता विपक्ष की भूमिका में हैं, जो केवल अपनी बातों से अपना कद घटा रहे हैं।