क्या कांग्रेस ने 'धर्मनिरपेक्ष' और 'समाजवाद' शब्दों का इस्तेमाल करके छलावा किया?

सारांश
Key Takeaways
- कांग्रेस पर आरोप कि उसने 'धर्मनिरपेक्षता' का आड़ लिया।
- आरएसएस के बयान से सियासी भूचाल आया।
- राहुल गांधी ने संविधान की रक्षा की बात की।
- आपातकाल के समय का संदर्भ महत्वपूर्ण है।
- केशव प्रसाद मौर्य का बयान कांग्रेस को हाशिए पर धकेल सकता है।
लखनऊ, 28 जून (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले द्वारा संविधान में 'समाजवाद' और 'धर्मनिरपेक्षता' पर दिए गए बयान का उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने पुरजोर समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि आपातकाल के समय में निरंकुश सरकार ने संविधान की प्रस्तावना में संशोधन कर ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘समाजवाद’ शब्दों का उपयोग करके कांग्रेस ने खुलकर धर्मनिरपेक्षता की आड़ ली।
उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि आपातकाल के दौरान निरंकुश इंदिरा सरकार ने संविधान की प्रस्तावना में संशोधन कर ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘समाजवाद’ शब्दों का प्रयोग करके कांग्रेस ने खुलकर धर्मनिरपेक्षता की आड़ में तुष्टिकरण और समाजवाद की ओट लेकर 'छलावे के झुनझुने' वाला खेल शुरू कर दिया था। लेकिन इसी दांव ने उसे हाशिए पर धकेल दिया, जिससे वह अब तक कराह रही है।
ज्ञात हो कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह-कार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले के संविधान की प्रस्तावना में शामिल समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्दों की समीक्षा पर विचार करने की बात से एक बार फिर सियासी भूचाल आ गया है। इसे लेकर विपक्षी दल लगातार हमलावर हैं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए कहा कि आरएसएस का नकाब फिर से उतर गया। संविधान इन्हें चुभता है क्योंकि यह समानता, धर्मनिरपेक्षता और न्याय की बात करता है। आरएसएस-भाजपा को संविधान नहीं, मनुस्मृति चाहिए। ये बहुजनों और गरीबों से उनके अधिकार छीनकर उन्हें दोबारा गुलाम बनाना चाहते हैं। संविधान जैसा ताकतवर हथियार उनसे छीनना इनका असली एजेंडा है। आरएसएस ये सपना देखना बंद करे। हम उन्हें कभी सफल नहीं होने देंगे। हर देशभक्त भारतीय आखिरी दम तक संविधान की रक्षा करेगा।