क्या देश घुसपैठियों के वोट से चलेगा या फिर देश के नागरिकों के वोट से: जेपी नड्डा?
सारांश
Key Takeaways
- जेपी नड्डा का सवाल: वोट का महत्व क्या है?
- इलेक्शन कमिशन की भूमिका पर चर्चा
- विपक्ष पर आरोप: चुनाव सुधार के लिए कोई कदम नहीं
नई दिल्ली, 16 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। चुनाव सुधार पर हुई चर्चा के दौरान राज्यसभा में केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने मंगलवार को सवाल उठाया कि क्या देश घुसपैठियों के वोट से चलेगा या फिर देश के नागरिकों के वोट से? यदि हमें नागरिकों के वोट से चलाना है, तो इलेक्शन कमिशन का यह कार्य नहीं है कि वह घुसपैठियों को चिह्नित करे? यदि यह इलेक्शन कमिशन का दायित्व है, तो सभी राजनीतिक पार्टियों को इसमें सहयोग देना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी दलों को मिलकर यह प्रस्ताव पारित करना चाहिए कि हम एसआईआर का समर्थन करते हैं।
नड्डा ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि ईवीएम लाने का काम भी आप ही ने किया था और अब आप बैलेट बॉक्स की वापसी की मांग कर रहे हैं। मैंने बिहार के चुनाव में देखा है कि कैसे बैलेट बॉक्स गायब होते थे, लाइटें बंद होती थीं और बॉक्स अदृश्य हो जाते थे। उन्होंने सवाल किया कि क्या हम उसी लालटेन युग में लौटना चाहते हैं या हम डिजिटल इंडिया की ओर बढ़ना चाहते हैं।
जेपी नड्डा ने कहा कि विपक्ष ने चुनावी प्रक्रियाओं पर सवाल उठाए हैं, लेकिन चुनाव आयोग को चुनाव सुधार के लिए कोई मेमोरेंडम नहीं दिया है। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि बचपन में ऐसे विद्यार्थी जो पढ़ाई में कमजोर होते थे, परीक्षा के पहले ही आरोप लगाने लगते थे। आज, राजनीतिक दल भी यही बहाने ढूंढ रहे हैं।
उन्होंने विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि चुनाव इलेक्शन कमिश्नर की नियुक्ति में चीफ जस्टिस को शामिल करने की बात कही गई थी। नड्डा ने बताया कि आजादी के बाद से प्रधानमंत्री ही एक फाइल पर साइन करके इलेक्शन कमिश्नर का चयन करते आए हैं।
उन्होंने चुनाव आयुक्तों को दी गई कानूनी प्रतिरक्षा पर भी चर्चा की और बताया कि यह कानून पहले से मौजूद था।
जेपी नड्डा ने कांग्रेस के लिए कहा कि आप तमिलनाडु में 58 साल से सत्ता से बाहर हैं और दिल्ली में 12 साल से आपकी सरकार नहीं बनी। उन्होंने कहा कि वोट चोरी की बातें करना और इस तरह की बातें आगे बढ़ाना उचित नहीं है।
उन्होंने पश्चिम बंगाल में पंजीकृत मतदाताओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि का जिक्र किया, जो 4.8 करोड़ से बढ़कर 7.63 करोड़ हो गई है।
उन्होंने कहा कि यह मुद्दा चुनाव जीतने या हारने का नहीं है, बल्कि देश का मुद्दा है।