क्या दुकानदारों की पैंट उतरवाने वाले और पहलगाम के आतंकियों में कोई अंतर है?: एसटी हसन

सारांश
Key Takeaways
- कानूनी अधिकार: आम नागरिकों को किसी की पहचान जांचने का अधिकार नहीं है।
- सांप्रदायिक सौहार्द: ऐसे घटनाओं से समाज में दरार पैदा हो सकती है।
- सरकारी आदेश: कांवड़ यात्रा के लिए नेम प्लेट का होना आवश्यक है।
- स्वास्थ्य रिपोर्ट: कोविड के बाद दिल की समस्याएँ बढ़ी हैं।
- सामाजिक एकता: हमारे समाज में सदियों से एकता बनी हुई है।
मुरादाबाद, २ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। कांवड़ यात्रा से पहले मुजफ्फरनगर में एक दुकानदार की पैंट उतरवाने का मामला बढ़ता जा रहा है। इस पर समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व सांसद एसटी हसन ने अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने यह सवाल उठाया कि क्या आम नागरिकों को यह अधिकार है कि वे किसी दुकानदार की पैंट उतरवाकर उसकी पहचान करें?
एसटी हसन ने कहा, "कांवड़ यात्रा के लिए सरकार का आदेश है कि नेम प्लेट लगाई जाए। मैं इस निर्णय से सहमत हूँ। इस्लाम कभी नहीं सिखाता कि आप अपनी पहचान छिपाकर व्यापार करें। लेकिन, ऐसे फैसलों को लागू करने का काम प्रशासन का है। मेरा सवाल यह है कि क्या आम नागरिकों को इस तरह की हरकत करने का अधिकार है? क्या पहलगाम में आतंकियों ने पैंट नहीं उतरवाने का काम किया था? ऐसा करने वालों और पहलगाम के आतंकियों में क्या भेद रह गया है? मैंने जो कहा, उसमें क्या गलत है? क्या ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होनी चाहिए जो इस तरह की हरकतें कर सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ रहे हैं?"
उन्होंने कहा, "हिंदू-मुस्लिमों के बीच दरार डालने की कोशिश की जा रही है। हजारों वर्षों से हमारे बीच एकता बनी हुई है, लेकिन इसे वोटों के लिए बिगाड़ने का प्रयास किया जा रहा है।"
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) और एम्स ने कोविड-१९ वैक्सीन को लेकर उठ रही अफवाहों को खारिज किया है। इस पर पूर्व सांसद एसटी हसन ने कहा, "अगर ऐसा कहा जा रहा है तो यह अच्छी खबर है। यदि कोविड की वजह से मौतें नहीं हुई हैं तो यह शुभ है। सामान्य डॉक्टर भी मानते हैं कि दिल की समस्याएँ कोविड के बाद बढ़ गई हैं। यदि यह रिपोर्ट सही है, तो हमें खुशी है कि हमारे लोग सुरक्षित रहेंगे, लेकिन इस कार्डियोमायोपैथी का कारण भी स्पष्ट होना चाहिए।"