क्या एसआईआर के माध्यम से गरीबों और वंचितों का वोट देने का अधिकार छीना जा रहा है? : पप्पू यादव

सारांश
Key Takeaways
- एसआईआर प्रक्रिया पर सवाल उठ रहे हैं।
- गरीबों और वंचितों का वोट देने का अधिकार खतरे में है।
- भाजपा की भूमिका पर गंभीर आरोप।
- सुप्रीम कोर्ट से न्याय की उम्मीद।
- विपक्षी दलों का एकजुटता का आह्वान।
नई दिल्ली, 23 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। संसद के मानसून सत्र के तीसरे दिन बुधवार को हंगामा जारी रहा। सदन में विपक्षी दलों ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव ने इस प्रक्रिया पर गंभीर आरोप लगाते हुए इसे चुनाव आयोग की साजिश बताया। उन्होंने कहा कि एसआईआर के माध्यम से गरीबों और वंचितों का वोट देने का अधिकार छीनने का प्रयास किया जा रहा है।
बुधवार को राष्ट्र प्रेस से बातचीत में सांसद पप्पू यादव ने चुनाव आयोग की वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन प्रक्रिया को गरीबों, दलितों और वंचित वर्गों के खिलाफ एक सुनियोजित कदम बताया। उनका दावा है कि बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) कई गांवों में नहीं जा रहे, खासकर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में, और सत्यापन प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है।
उन्होंने इसे लोकतंत्र पर हमला करार देते हुए कहा कि यह पूरी प्रक्रिया गरीबों को वोट देने के अधिकार से वंचित करने का प्रयास है।
पप्पू यादव ने कहा कि भाजपा उन क्षेत्रों में मतदाता सूची से नाम हटा रही है जहां उसे वोट मिलने की संभावना कम है, ताकि विपक्ष कमजोर हो। यह प्रक्रिया संविधान के खिलाफ है और सरकार एसआईआर पर खुलकर जवाब देने को तैयार नहीं है। उन्होंने पूरे भारत में बंद और व्यापक मुहिम चलाने की बात कही है, साथ ही विपक्षी दलों से एकजुट होकर इसका विरोध करने का आह्वान किया है।
उन्होंने कहा कि 51 लाख मतदाता कहां से आए और इतनी बड़ी संख्या में नाम हटाने का आधार क्या है? पप्पू यादव का दावा है कि भाजपा बीएलओ को मनमाने ढंग से नाम हटाने का अधिकार दे रही है, वो भी बिना आधार या राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों की जांच के।
सांसद ने यह भी आरोप लगाया है कि चुनाव को लेकर भाजपा ने जो सर्वे किया, उसे बीएलओ को दे दिया गया है। वोटर लिस्ट चेक करते हैं और वोटर लिस्ट से काट दिया जा रहा है। एसआईआर बिहार के लोगों को अधिकार छीनने की प्रक्रिया है। गरीबों का वोट देने का अधिकार छीना जा रहा है।
उन्होंने कहा कि निचली अदालतों पर भरोसा नहीं है। सुप्रीम कोर्ट पर विश्वास है कि वह इस मामले में सख्त कदम उठाएगा।