क्या घोषणाओं से दलितों और पिछड़े वर्गों का पेट भरेगा? : बसवराज बोम्मई

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क्या घोषणाओं से दलितों और पिछड़े वर्गों का पेट भरेगा? : बसवराज बोम्मई

सारांश

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने मौखिक घोषणाओं को लेकर मुख्यमंत्री सिद्दारमैया पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि असली विकास के लिए आरक्षित निधि का सही आवंटन जरूरी है। जानें, बोम्मई ने और क्या कहा।

Key Takeaways

  • दलितों और पिछड़े वर्गों का विकास केवल घोषणाओं से नहीं होगा।
  • आरक्षित निधियों का सही आवंटन आवश्यक है।
  • ओबीसी निगमों को धन की जरूरत है।
  • किसानों के लिए ऋण प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है।
  • राजनीतिक नेताओं को अपने वादों को पूरा करने की आवश्यकता है।

गडग, १७ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और सांसद बसवराज बोम्मई ने कहा कि दलितों और पिछड़े वर्गों का विकास केवल मौखिक घोषणाओं से संभव नहीं है। मुख्यमंत्री सिद्दारमैया का यह मानना है कि केवल घोषणाओं से लोगों का पेट भरने की संभावना है। उन्होंने सरकार से इन समुदायों के लिए आरक्षित निधि का उचित आवंटन करने की मांग की।

बसवराज बोम्मई ने कर्नाटक के गडग में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री केवल दलितों के बारे में बातें करते हैं। यदि वह अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित निधि का सही आवंटन करें, तो यह महत्वपूर्ण है। इसी प्रकार, पिछड़े वर्गों के लिए बनाई गई योजनाओं के लिए कोई खास लक्ष्य निर्धारित नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि आठ ओबीसी निगम हैं, लेकिन उनमें से किसी को भी धनराशि प्राप्त नहीं हुई है। वे ओबीसी के उत्थान का दावा करते हैं, लेकिन मौजूदा योजनाओं के लिए धन उपलब्ध नहीं कराते। दलित कल्याण योजनाओं के लिए आरक्षित निधि में कटौती की जा रही है, जिस पर मुख्यमंत्री को ध्यान देना चाहिए। किसी को केवल बोर्ड या निगम का अध्यक्ष नियुक्त करने से वास्तविक परिवर्तन नहीं आएगा। यदि समुदायों का वास्तविक विकास करना है, तो योजनाओं का लाभ उन तक पहुंचाना आवश्यक है। केवल दिखावटी बातें कुछ नहीं करतीं। सिद्दारमैया का मानना है कि केवल घोषणाओं से ही पेट भरा जा सकता है।

प्रदेश भाजपा के भीतर असंतोष के बारे में उन्होंने इनकार किया और कहा कि कर्नाटक भाजपा में कोई असंतोष नहीं है। पार्टी आलाकमान को सब कुछ पता है और वे आवश्यक निर्णय लेंगे।

बोम्मई ने फसल बीमा के लिए किसानों के नामांकन की आड़ में एजेंटों की बढ़ती उपस्थिति पर चिंता जताई। उपायुक्तों ने इस मुद्दे पर पहले ही बैठकें कर ली हैं। अतीत में लगभग २० प्रतिशत फसल बीमा लाभार्थी फर्जी थे और उन्होंने अधिकारियों को इस वर्ष ऐसा होने से रोकने के निर्देश दिए हैं।

उन्होंने किसानों को दिए जाने वाले फसल ऋणों की मात्रा बढ़ाने पर जोर दिया और कहा कि प्रति एकड़ ऋण राशि बढ़ाई जानी चाहिए। सहकारी ऋण प्रणाली से बाहर रह गए लोगों को इसके दायरे में लाना चाहिए और उन्हें ऋण प्रदान किया जाना चाहिए। किसानों को ऋण देते समय सिबिल स्कोर (क्रेडिट स्कोर) मानदंड लागू नहीं किया जाना चाहिए। यह उनका दृष्टिकोण है और वे इसे राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने का प्रयास करेंगे।

Point of View

बल्कि यह सरकार की प्राथमिकताओं को भी उजागर करता है। ऐसे बयानों से यह स्पष्ट होता है कि राजनीतिक नेताओं को अपने वादों को वास्तविकता में बदलने की आवश्यकता है।
NationPress
17/07/2025

Frequently Asked Questions

क्या बसवराज बोम्मई ने दलितों के विकास के लिए कोई योजना प्रस्तुत की?
बसवराज बोम्मई ने केवल मौखिक घोषणाओं की आलोचना की और सरकार से आरक्षित निधियों के सही आवंटन की मांग की।
मुख्यमंत्री सिद्दारमैया का क्या कहना है?
मुख्यमंत्री का मानना है कि केवल घोषणाओं से ही लोगों का पेट भरा जा सकता है।
ओबीसी निगमों को धन क्यों नहीं मिला?
बसवराज बोम्मई ने कहा कि आठ ओबीसी निगम हैं, लेकिन किसी को भी धनराशि नहीं मिली है।
किसानों को ऋण देने में क्या बदलाव होने चाहिए?
बोम्मई ने किसानों को ऋण देते समय सिबिल स्कोर मानदंड को लागू नहीं करने की बात कही।
क्या कर्नाटक भाजपा में असंतोष है?
बसवराज बोम्मई ने इस बात का इनकार किया और कहा कि पार्टी में कोई असंतोष नहीं है।