क्या जनता चुनाव आयोग पर भरोसा कर सकती है? फखरुल हसन का बयान

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क्या जनता चुनाव आयोग पर भरोसा कर सकती है? फखरुल हसन का बयान

सारांश

लखनऊ में समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता फखरुल हसन ने चुनाव आयोग और केंद्र सरकार पर मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि जनता अब चुनाव आयोग पर भरोसा नहीं कर रही है। जानिए क्या है उनके तर्क और इसके पीछे की राजनीति।

Key Takeaways

  • फखरुल हसन ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
  • जनता का चुनाव आयोग पर भरोसा नहीं है
  • एसआईआर प्रक्रिया को लेकर सवाल उठाए गए।
  • चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल।
  • मतदाता सूची को ठीक करने के बजाय वोटरों के स्थानांतरण की चिंता।

लखनऊ, 19 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर विपक्ष लगातार सवाल उठा रहा है। इसी बीच समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता फखरुल हसन ने बुधवार को एसआईआर पर केंद्र सरकार और चुनाव आयोग पर निशाना साधा

सपा प्रवक्ता ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए कहा, "एसआईआर विधानसभा चुनाव की मतदाता सूची के संदर्भ में हो रहा है। पंचायत, नगर निगम और लोकसभा चुनाव की सूची अलग है। फिर वे कहते हैं कि आधार को लिंक नहीं करेंगे। अगर आधार लिंक नहीं होगा तो भाजपा के सांसद जो दिल्ली में वोट डालते हैं और फिर बिहार में वोट डालते हैं, आगे हो सकता है कि आने वाले दिनों में वो पश्चिम बंगाल में भी वोट डालते नजर आएं। बंगाल के चुनाव खत्म होने के बाद वो उत्तर प्रदेश में वोट डालने के लिए भी जा सकते हैं।"

उन्होंने कहा, "यह कौन सा एसआईआर है कि लोग मतदाता सूची को ठीक करने के बजाय एक राज्य से दूसरे राज्य के वोटर बने रहेंगे? वे आधार को लिंक नहीं करेंगे, क्योंकि अगर आधार लिंक हो जाएगा तो लोग दूसरी जगह वोट नहीं डाल पाएंगे। ऐसे बहुत से सवाल हैं, जिनको लेकर समाजवादी पार्टी लगातार सवाल पूछती रही है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष अगर इस मुद्दे को उठा रहे हैं, तो यह सवाल बिल्कुल जायज है। चुनाव आयोग ने पूरी तरह आंखें मूंद ली हैं। भाजपा जैसे चाहती है, चुनाव आयोग बिल्कुल वैसे ही कार्य कर रहा है। अब जनता को चुनाव आयोग पर भरोसा नहीं है।"

सपा प्रवक्ता ने कहा, "चुनाव आयोग जिस तरह से काम कर रहा है, गलत चीजों को देखते हुए भी न देखने की जो साजिश हो रही है, वह देश के लोकतंत्र को कमजोर करने का लगातार प्रयास है। बिहार में चुनाव से ठीक पहले एसआईआर की प्रक्रिया हुई। पहले क्यों नहीं कराई गई? बिल्कुल चुनाव से ठीक पहले एसआईआर क्यों हुआ? यह सब एक बड़ी साजिश की ओर इशारा करता है।"

उन्होंने कहा, "चुनाव के बीच में लोगों के खातों में पैसे आते रहें, जबकि चुनाव आयोग कहता है कि वोट के बदले नोट नहीं दिया जा सकता है, लेकिन अगर चुनाव प्रक्रिया के बीच में नोट आते रहें तो यह वोट खरीदने की एडवांस टेक्नोलॉजी है।"

Point of View

यह स्पष्ट है कि समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता के बयान में गंभीरता है। चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए, यह जरूरी है कि हम लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की सुरक्षा के प्रति सजग रहें। हमें यह समझने की आवश्यकता है कि चुनाव आयोग का कार्य केवल चुनाव संचालन नहीं, बल्कि लोकतंत्र की नींव को सुरक्षित रखना भी है।
NationPress
19/11/2025

Frequently Asked Questions

फखरुल हसन ने चुनाव आयोग पर क्या आरोप लगाए हैं?
फखरुल हसन ने कहा कि चुनाव आयोग भाजपा के इशारों पर काम कर रहा है और जनता का भरोसा खो चुका है।
मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का उद्देश्य क्या है?
एसआईआर का उद्देश्य मतदाता सूची को ठीक करना और सही जानकारी सुनिश्चित करना है।
क्या आधार लिंकिंग जरूरी है?
फखरुल हसन के अनुसार, आधार लिंकिंग न होने से लोग एक राज्य से दूसरे राज्य में वोट डाल सकते हैं।
क्या चुनाव आयोग निष्पक्ष है?
फखरुल हसन का कहना है कि चुनाव आयोग निष्पक्ष नहीं है और भाजपा के पक्ष में कार्य कर रहा है।
चुनाव के दौरान पैसे का आना क्या सही है?
फखरुल हसन ने इसे वोट खरीदने की एडवांस टेक्नोलॉजी करार दिया है।
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