क्या वादाखिलाफी और भ्रष्टाचार के लिए केजरीवाल को नोबेल पुरस्कार मिलना चाहिए? : योगेंद्र उपाध्याय

सारांश
Key Takeaways
- अरविंद केजरीवाल के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया
- योगेंद्र उपाध्याय ने विश्वसनीयता पर सवाल उठाया
- भ्रष्टाचार के आरोपों की चर्चा
- जनता की राय का महत्व
- राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप की संस्कृति
नई दिल्ली, 9 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के नोबेल पुरस्कार संबंधी बयान पर उत्तर प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।
उपाध्याय ने केजरीवाल के बयान को "बेहद हास्यास्पद" बताते हुए कहा कि उनका यह दावा उनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है।
उन्होंने कहा, "अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस के खिलाफ राजनीति की शुरुआत की थी। उन्होंने दिल्ली की जनता से वादा किया था कि वे कभी कांग्रेस का साथ नहीं देंगे, लेकिन बाद में वे कांग्रेस के साथ गठबंधन में रहे। उनके मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे और खुद मुख्यमंत्री रहते हुए केजरीवाल भी भ्रष्टाचार के मामले में जेल गए। अब वे अपने लिए नोबेल पुरस्कार की मांग कर रहे हैं। यदि झूठ बोलने, वादाखिलाफी और भ्रष्टाचार के लिए कोई नोबेल पुरस्कार होता, तो वह निश्चित रूप से अरविंद केजरीवाल को मिलना चाहिए।"
इस बीच, बीजेपी विधायक जितेंद्र कुमार गोठवाल ने भी केजरीवाल पर हमला किया। उन्होंने कहा, "केजरीवाल और उनके साथियों को यह समझना चाहिए कि देशहित में असल में कौन काम कर रहा है। जनता सब देख रही है और यह तय कर सकती है कि सच्चा हितैषी कौन है, केजरीवाल या प्रधानमंत्री मोदी।"
गोठवाल ने केजरीवाल के बयान को जनता को गुमराह करने की कोशिश बताया और कहा कि उनकी राजनीति केवल प्रचार पर निर्भर है। इसके अलावा, उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर भी निशाना साधा।
उन्होंने कहा, "बार-बार हारने से राहुल गांधी की मानसिक स्थिति बिगड़ गई है। अगर उन्हें लोकतंत्र में विश्वास नहीं है, तो उन्हें चुनाव प्रक्रिया में हिस्सा नहीं लेना चाहिए। एक विपक्षी नेता के तौर पर उनकी बड़ी जिम्मेदारी है, लेकिन वे बिना सबूत के चुनाव आयोग पर दोष मढ़ते हैं। यह लोकतंत्र का अपमान है।"