क्या इंग्लैंड-भारत टेस्ट सीरीज में ड्यूक्स गेंद की समस्याओं की जांच करेगी निर्माता कंपनी?

सारांश
Key Takeaways
- ड्यूक्स गेंद की गुणवत्ता पर सवाल उठाए गए हैं।
- निर्माता कंपनी जांच प्रक्रिया शुरू करेगी।
- गेंद का सॉफ्ट होना दोनों टीमों के गेंदबाजों के लिए चुनौती है।
- यह समस्या टेस्ट सीरीज के दौरान अधिक स्पष्ट हुई।
- गेंद की जांच प्रक्रिया में कच्चे माल का भी मूल्यांकन किया जाएगा।
लंदन, 18 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भारत और इंग्लैंड के बीच पहले तीन टेस्ट मैचों में ड्यूक्स गेंद का उपयोग किया गया। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों ने गेंद से जुड़ी परेशानियों का उल्लेख किया है। अब ड्यूक्स गेंद की निर्माता कंपनी इन समस्याओं की जांच के लिए एक प्रक्रिया शुरू करने जा रही है।
ड्यूक्स गेंदें उच्च गुणवत्ता वाली मानी जाती हैं। इनका उत्पादन 1760 से हो रहा है। भारत और इंग्लैंड के बीच चल रहे टेस्ट सीरीज के पहले तीन टेस्ट मैचों में भी ड्यूक्स गेंद का उपयोग किया गया। रिपोर्ट्स के अनुसार, नई गेंद आने से पहले ही यह सॉफ्ट हो जाती है।
ड्यूक्स गेंद बनाने वाली ब्रिटिश कंपनी क्रिकेट बॉल्स लिमिटेड के मालिक दिलीप जजोदिया ने शुक्रवार को बीबीसी स्पोर्ट्स से कहा, "हम गेंद को ले जाएंगे। इसके निर्माण में प्रयुक्त चमड़े और अन्य कच्चे माल की चर्चा करेंगे और उसकी जांच करेंगे। हर छोटी और बड़ी चीज़ की समीक्षा की जाएगी, और यदि हमें लगेगा कि कुछ बदलाव की आवश्यकता है, तो हम इसे करेंगे।"
गेंद निर्धारित उपयोग से पहले ही काफी सॉफ्ट हो रही है और आकार खो रही है, विशेषकर पहले 30 ओवरों के बाद, जिसके कारण दोनों टीमों के गेंदबाजों के लिए विकेट लेना चुनौतीपूर्ण हो गया है।
ड्यूक्स गेंद की गुणवत्ता का मुद्दा तब अधिक चर्चा में आया जब लॉर्ड्स में खेले गए तीसरे टेस्ट के दौरान इंग्लैंड की पहली पारी में पांच गेंदें बदली गईं, जबकि एक गेंद दूसरे दिन के खेल के केवल 10.2 ओवर बाद ही बदली गई थी।
जाजोदिया ने कहा, "गेंद की जांच इस्तेमाल से पहले नहीं की जा सकती। गेंद का विफल होना केवल उपयोग के दौरान ही होता है। हम गेंद बनाने की पूरी प्रक्रिया की जांच कर सकते हैं।"