क्या लाडकी बहीण योजना से बोझ पड़ता है, लेकिन जनता का हित सर्वोपरि है?

सारांश
Key Takeaways
- लाडकी बहीण योजना महिलाओं के लिए आर्थिक सशक्तता का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
- सरकार का निवेश जनहित के लिए आवश्यक है।
- किसानों को सहायता राशि समय पर पहुंचाना जरूरी है।
- मतदाता सूची में सुधार की आवश्यकता है।
- राज्य सरकार जनहित की योजनाओं पर खर्च से पीछे नहीं हटेगी।
बुलढाणा, 16 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। शिवसेना (शिंदे गुट) के विधायक संजय गायकवाड ने कहा कि 'लाडकी बहीण योजना' जैसी जनकल्याणकारी योजनाएं भले ही सरकार के खजाने पर बोझ डालती हैं, लेकिन यह जनहित के लिए आवश्यक है।
उन्होंने बताया कि ऐसी योजनाएं महिलाओं को आर्थिक सशक्तता प्रदान करती हैं और सरकार की जिम्मेदारी है कि वह जरूरतमंदों की मदद करे।
गायकवाड ने कहा, "यह सभी को ज्ञात है कि चाहे लाडकी बहीण योजना हो या कोई अन्य योजना, जब राज्य में कोई नई नीति या आकस्मिक निधि बनाई जाती है, तो स्वाभाविक रूप से सरकार के खजाने पर कुछ दबाव पड़ता है। लेकिन यह बोझ जनकल्याण के लिए है, इसलिए इसे बोझ नहीं बल्कि निवेश कहा जाना चाहिए।"
उन्होंने शिवसेना (उद्धव गुट) और सामना अखबार पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य सरकार ने किसानों के लिए जो 31,608 करोड़ रुपए की सहायता राशि स्वीकृत की है, वह निश्चित रूप से किसानों तक पहुंचेगी। उन्होंने सवाल उठाया कि संजय राउत और उनकी पार्टी ने किसानों के लिए अब तक क्या किया है?
विधायक गायकवाड ने कहा, "आज किसान गंभीर संकट में हैं। ऐसे में एक-दूसरे पर आरोप लगाने के बजाय यह आवश्यक है कि दिवाली तक सहायता राशि हर किसान तक पहुंचाई जाए। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे किसानों के साथ हैं और सरकार उनके हर नुकसान की भरपाई के लिए प्रतिबद्ध है।"
उन्होंने राज्य में मतदाता सूचियों की अव्यवस्था पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि महाविकास आघाड़ी की यह मांग कि मतदाता सूची में भ्रम दूर होने तक चुनाव टाल दिए जाएं, बिल्कुल अनुचित है।
गायकवाड ने कहा, "यह सही है कि कई नवविवाहित युवक-युवतियों के नाम मतदाता सूची में नहीं हैं, वहीं 15 साल पहले मर चुके लोगों के नाम अब भी सूची में बने हुए हैं। बुलढाणा शहर में करीब 4,000 दोहरे नाम हैं। कई परिवारों के नाम चार-चार वार्डों में दर्ज हैं और एक व्यक्ति का नाम अलग-अलग जगहों पर पाया जा रहा है। लेकिन यह समस्या चुनाव टालने का कारण नहीं बन सकती।"
उन्होंने कहा कि यदि चुनाव आयोग चाहे, तो 28 तारीख तक मृतकों और फर्जी नामों को सूची से हटाया जा सकता है।
गायकवाड ने कहा, "एक अधिकारी यहाँ आता है, उसका नाम मतदाता सूची में दर्ज होता है, फिर उसका ट्रांसफर हो जाता है, लेकिन उसका नाम वहीं रह जाता है। इसलिए यह सूची जरूरत से ज्यादा बढ़ा-चढ़ाकर कर बनाई गई लगती है।"
विधायक संजय गायकवाड ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार जनहित की योजनाओं पर खर्च से पीछे नहीं हटेगी और किसानों तथा गरीबों के कल्याण के लिए हर संभव कदम उठाएगी।