क्या महागठबंधन का एजेंडा केवल परिवार और पूंजी बचाना है? : श्याम रजक

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क्या महागठबंधन का एजेंडा केवल परिवार और पूंजी बचाना है? : श्याम रजक

सारांश

क्या महागठबंधन का असली एजेंडा केवल परिवार और पूंजी बचाना है? जेडीयू नेता श्याम रजक ने इस पर अपनी तीखी राय रखी है। उन्होंने आरजेडी और लालू परिवार के अंदरूनी झगड़ों पर खुलकर बात की। जानिए बिहार की राजनीति में क्या चल रहा है।

Key Takeaways

  • महागठबंधन का असली एजेंडा परिवार और पूंजी को बचाना है।
  • लालू परिवार के अंदरूनी मतभेद स्वार्थ का परिणाम हैं।
  • आरजेडी में पैसे के आधार पर टिकट बंटवारे की परंपरा है।
  • तेजस्वी यादव की राजनीति में परिपक्वता की कमी है।
  • बिहार की राजनीति में परिवारवाद और भ्रष्टाचार बढ़ रहे हैं।

पटना, 18 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान महागठबंधन में चल रहे मतभेदों पर जेडीयू नेता श्याम रजक ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और लालू प्रसाद यादव के परिवार पर जुबानी हमला करते हुए कहा कि महागठबंधन का एजेंडा बिहार नहीं, बल्कि परिवार और पूंजी बचाने का है।

श्याम रजक ने शनिवार को समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से खास बातचीत में कहा कि एनडीए और महागठबंधन में मूलभूत अंतर सोच का है। एनडीए नीतीश कुमार के नेतृत्व में पिछले 20 वर्षों से बिहार के हर वर्ग के लिए योजनाएं चला रहा है। हमारी सोच बिहार के विकास की है। दूसरी तरफ, महागठबंधन के लोग केवल अपने परिवार और स्वार्थ के लिए राजनीति कर रहे हैं। उन्हें बिहार की जनता से कोई लेना-देना नहीं है।

लालू परिवार के अंदरूनी मतभेदों पर रजक ने कहा कि जब राजनीति का उद्देश्य सेवा के बजाय स्वार्थ हो जाता है तो आपसी झगड़े स्वाभाविक हो जाते हैं। लालू परिवार में यह होड़ है कि किसके पास ज्यादा धन, पूंजी और प्रभाव रहेगा। यही वजह है कि परिवार के सदस्य एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी और व्यवहार करने लगे हैं।

उन्होंने तेजस्वी यादव और लालू प्रसाद के संबंधों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि दोनों में बहुत फर्क है। लालू यादव ने गरीबों को आवाज दी थी, लेकिन परिवारवाद और भ्रष्टाचार के जाल में फंस गए। वहीं, तेजस्वी राजनीति में परिपक्व नहीं हैं; वह चांदी का चम्मच लेकर पैदा हुए हैं और घमंड में राजनीति करते हैं। स्थिति यह है कि लालू यादव खुद अपने ही परिवार के द्वारा राजनीतिक रूप से कैद कर दिए गए हैं। जब जरूरत पड़ती है, तब ही उन्हें सामने लाया जाता है।

आरजेडी में टिकट बंटवारे को लेकर रजक ने आरोप लगाया कि पार्टी में पैसे के बल पर टिकट मिलने की परंपरा बन गई है। सुबह किसी का टिकट होता है, शाम तक बदल जाता है। इससे साफ है कि पार्टी 'पैसा लाओ और टिकट पाओ' की नीति पर चल रही है। ऐसे लोग जो कभी कार्यकर्ता नहीं रहे, सिर्फ धनबल के सहारे राजनीति में आ रहे हैं।

रजक ने यह भी दावा किया कि लालू परिवार के लगभग सभी सदस्य तेजस्वी यादव से नाराज हैं। राबड़ी देवी, तेज प्रताप, मीसा भारती और रोहिणी आचार्य सभी तेजस्वी से परेशान हैं। तेजस्वी राजनीति सेवा के लिए नहीं, बल्कि अपनी पूंजी और ऐश्वर्य बढ़ाने के लिए करते हैं।

श्याम रजक ने आरजेडी छोड़ने के अपने फैसले पर कहा कि अब आरजेडी में समाजवाद की जगह पैसे की राजनीति ने ले ली है। वहां रहना मतलब धन के आधार पर टिकट की राजनीति में शामिल होना। वह मेरी सोच और राजनीति के अनुरूप नहीं था।

Point of View

यह महत्वपूर्ण है कि हम बिहार की राजनीति को निष्पक्षता से देखे। महागठबंधन और एनडीए के बीच मौलिक अंतर केवल विचारधारा का नहीं, बल्कि जनसेवा और स्वार्थ का भी है। जनता की भलाई के लिए सही निर्णय लेने की आवश्यकता है।

NationPress
19/10/2025

Frequently Asked Questions

महागठबंधन का असली एजेंडा क्या है?
महागठबंधन का असली एजेंडा परिवार और पूंजी को बचाना बताया जा रहा है, जैसा कि श्याम रजक ने कहा।
श्याम रजक का आरजेडी से क्या संबंध है?
श्याम रजक पूर्व में आरजेडी के नेता रहे हैं, लेकिन उन्होंने पार्टी में पैसे की राजनीति के कारण छोड़ने का निर्णय लिया।
लालू यादव और तेजस्वी यादव के बीच क्या अंतर है?
श्याम रजक के अनुसार, लालू यादव ने गरीबों की आवाज उठाई, जबकि तेजस्वी यादव में परिपक्वता की कमी है।
आरजेडी में टिकट बंटवारे की प्रक्रिया कैसी है?
आरजेडी में टिकट बंटवारे में पैसे का विशेष महत्व है, जिससे पार्टी में धनबल की राजनीति बढ़ती जा रही है।
बिहार की राजनीति में परिवारवाद का क्या असर है?
परिवारवाद ने बिहार की राजनीति को भ्रष्टाचार और स्वार्थ की ओर मोड़ दिया है, जिससे राजनीतिक झगड़े बढ़ रहे हैं।