क्या मालेगांव विस्फोट मामले को राजनीतिक हितों के लिए उलझाया गया था? : सुनील आंबेकर

सारांश
Key Takeaways
- सभी आरोपियों को बरी किया गया।
- मामला राजनीतिक स्वार्थ से प्रभावित रहा।
- आरएसएस के सुनील आंबेकर ने इस पर प्रतिक्रिया दी।
- हिंदू धर्म और समाज को आतंकवाद से जोड़ने का प्रयास किया गया था।
नागपुर, 31 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। मुंबई की विशेष एनआईए अदालत ने 2008 के मालेगांव ब्लास्ट मामले में सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि निजी स्वार्थ और राजनीतिक हितों के कारण मालेगांव विस्फोट मामले को उलझाया गया था।
उन्होंने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि मालेगांव विस्फोट में एनआईए अदालत के फैसले के बाद सचाई सामने आई है। कुछ लोगों ने निजी स्वार्थ और राजनीतिक लाभ के चलते इस मामले को उलझाने का प्रयास किया, जिससे हिंदू धर्म और समाज को आतंकवाद से जोड़ने की कोशिश की गई। एक लंबी प्रक्रिया और तथ्यों के बाद कोर्ट के इस निर्णय ने इन सभी आरोपों को निराधार साबित किया है।
वहीं, विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय महासचिव सुरेंद्र जैन ने कहा कि पिछले दो दशकों से हिंदू समुदाय को बदनाम करने के लिए कांग्रेस और उसके सहयोगियों की झूठी कहानी आज पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है।
उन्होंने सवाल किया कि क्या कांग्रेस चंद जिहादियों को बचाने के लिए पूरे हिंदू समाज को अपमानित करेगी, क्या संतों को जेल में डालोगे? हिंदू समाज इसे स्वीकार नहीं करेगा।
उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि राहुल गांधी समेत सभी कांग्रेसी नेताओं को केवल हिंदू समाज से ही नहीं बल्कि संपूर्ण देश से माफी मांगनी चाहिए।
उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की कि असली अपराधियों को सामने लाया जाए। इन अपराधियों को बचाने का षड्यंत्र करने वालों को, 'भगवा आतंकवाद' और 'हिंदू आतंकवाद' जैसे शब्दों की रचना करने वालों को कटघरे में खड़ा करने का समय आ गया है। इनके चेहरे के नकाब उतारने के बाद कोई भी दोबारा हिंदू समाज और संतों को अपमानित करने की हिम्मत नहीं कर सकेगा।
उल्लेखनीय है कि 17 साल तक चले इस मुकदमे में कई मोड़ आए हैं, जिसमें दो जांच एजेंसियों, महाराष्ट्र एटीएस और एनआईए, द्वारा तीन चार्जशीट (एक पूरक सहित) दाखिल की गईं।