क्या ममता बनर्जी के राज में बंगाल में 'गुंडागर्दी' बढ़ रही है? : मुख्तार अब्बास नकवी

सारांश
Key Takeaways
- गुंडागर्दी का बढ़ना चिंता का विषय है।
- सरकार को अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
- राजनीतिक संरक्षण अपराधों को बढ़ावा देता है।
- सांप्रदायिक ध्रुवीकरण
- चुनावों में वोटों का अपहरण एक बड़ी चुनौती है।
नई दिल्ली, 30 जून (राष्ट्र प्रेस)। कोलकाता रेप केस से संबंधित तृणमूल कांग्रेस नेताओं के विवादास्पद बयानों पर भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने इसे पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के शासन में 'गुंडागर्दी ऑन' करार दिया है।
मुख्तार अब्बास नकवी ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए कहा, "मुझे लगता है कि कोलकाता रेप केस में कार्रवाई करने के बजाय सरकार और सत्ताधारी पार्टी इन अपराधियों की वाहवाही करती नजर आती है। यदि यह शहर, जो पूरे देश का गौरव है, क्राइम कैपिटल बन जाए तो यह चिंता का विषय है। लेकिन इससे भी बड़ी चिंता यह है कि ममता दीदी के राज में गुंडागर्दी का राज है। गुंडागर्दी करने वालों को राजनीतिक और सरकारी संरक्षण प्राप्त है, जो और भी गंभीर चिंता का विषय है।
आरएसएस महासचिव दत्तात्रेय होसबोले के हालिया बयान पर भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि यह रचनात्मक और सकारात्मक बहस की दिशा में आगे बढ़ रहा है। जब भारत आजाद हुआ तब दो देश बने, पाकिस्तान और हिंदुस्तान। पाकिस्तान ने इस्लामी झंडा फहराया, जबकि भारत ने सर्वधर्म समभाव का मार्ग चुना। सर्वधर्म समभाव चुनने में कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं थी। यह हमारे देश के बहुसंख्यकों की संस्कार और संस्कृति, मूल्यों और सोच का परिणाम था। जब पड़ोसी देश इस्लामिक राष्ट्र बन रहा था, तब भारत के बहुसंख्यक समाज ने अपने देश को सर्वधर्म समभाव के रास्ते पर ले जाने का फैसला किया। इसलिए संवैधानिक बाध्यता नहीं थी। उस समय हमारी संस्कृति और संस्कार सर्वधर्म समभाव का था। आपातकाल के दौरान जो संविधान के साथ छल किया गया, उसकी तह तक जाने की आवश्यकता है।
तेजस्वी यादव की ओर से वक्फ कानून को "कूड़ेदान में फेंकने" वाले बयान पर भाजपा नेता ने कहा, "जिनके खानदान का खूंटा उखड़ गया है, वे कानून का खूंटा उखाड़ने का ठेका लेने निकले हैं। उन्हें अपने खानदान के खूंटे का पता ही नहीं है, और वह कानून के खूंटे को उखाड़ने की हास्यास्पद कोशिश में लगे हुए हैं। निश्चित तौर पर चुनाव के समय ये लोग सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के जरिए समाज के एक बड़े वर्ग के वोटों का अपहरण करने की साजिश में लगे रहते हैं। उन्हें लग गया है कि इस बार जनादेश के घाट पर उनका जुगाड़ भी हार जाएगा। इसलिए एक बार फिर से उन्होंने सांप्रदायिक नौटंकी करने की कोशिश की है, सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने की कोशिश की है और समाज के एक बड़े वर्ग में भय तथा भ्रम फैलाकर उनके वोटों का अपहरण करने की साजिश रची है, लेकिन वे इसमें सफल नहीं होंगे।