क्या मतदाता सूची में बचे नाम नीतीश को हटाने के लिए पर्याप्त हैं? : प्रशांत किशोर

सारांश
Key Takeaways
- मतदाता सूची का पुनरीक्षण महत्वपूर्ण है।
- गरीब और वंचित वर्ग की आवाज़ को सुना जाना चाहिए।
- चुनाव आयोग को नागरिकता निर्धारित करने का अधिकार नहीं है।
- शिक्षा और रोजगार की स्थिति पर ध्यान दें।
- प्रशांत किशोर 'बिहार बदलाव यात्रा' कर रहे हैं।
कैमूर, 4 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। जन सुराज के प्रमुख प्रशांत किशोर सोमवार को कैमूर पहुंचे। उन्होंने कहा कि मतदाता सूची में विशेष गहन पुनरीक्षण के दौर में जिनके नाम हटाए जाएंगे और जितने लोग बचेंगे, वही भाजपा, नीतीश कुमार और लालू यादव को हटाने के लिए पर्याप्त हैं।
मीडिया से बातचीत में उन्होंने एसआईआर के मुद्दे पर कहा, "हम पहले ही बता चुके हैं कि जिनका नाम काटा जा रहा है, वे भाजपा और जदयू को डराने वाले हैं। सरकार को पता है कि जो गरीब और वंचित लोग हैं, जो प्रवासी मजदूर हैं, वे व्यवस्था से नाराज हैं। इसलिए सरकार चिंतित है। उन्हें एहसास है कि यदि ये लोग वोट देंगे, तो हार जाएंगे, इसलिए उनके नाम काटे जा रहे हैं।"
उन्होंने यह भी कहा कि हमारा मानना है कि चुनावों के समय लगभग सभी लोग वोट देंगे, क्योंकि चुनाव आयोग को नागरिकता निर्धारित करने का अधिकार नहीं है। अंततः सभी लोग अपने आधार कार्ड पर वोट डाल सकेंगे।
उन्होंने कहा, "मान लीजिए यदि गलती से कुछ नाम कट भी गए, तो मैं आपको बता रहा हूं, जितने लोग बचे रहेंगे, उतने ही लोग भाजपा और नीतीश, लालू को हटाने के लिए काफी हैं। इस पर चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है, इनका जाना तय है।"
प्रशांत किशोर ने राजद नेता तेजस्वी यादव के दो वोटर कार्ड होने के बारे में कहा कि यह भाजपा और तेजस्वी यादव के बीच की एक नूरा-कुश्ती है। इससे बिहार की जनता को कोई लेना-देना नहीं है। बिहार की जनता को इस बात से मतलब है कि राज्य में शिक्षा और रोजगार की स्थिति में सुधार हो। तेजस्वी यादव के पास एक कार्ड है या दो, यह चुनाव आयोग और तेजस्वी यादव के बीच का मामला है, उन्हें इसकी जांच करनी चाहिए।
प्रशांत किशोर 'बिहार बदलाव यात्रा' के तहत प्रदेश का दौरा कर रहे हैं। इसी क्रम में वह कैमूर पहुंचे हैं।