क्या मोहन भागवत ने समाज को जोड़ने का काम किया है, उन पर भरोसा करना चाहिए?: मौलाना शहाबुद्दीन रिजवी
सारांश
Key Takeaways
- मोहन भागवत का कहना है कि आरएसएस मुस्लिम विरोधी नहीं है।
- मौलाना शहाबुद्दीन रिजवी ने समाज में एकता की आवश्यकता पर जोर दिया।
- आरएसएस एक सामाजिक संगठन है जो देश के हित में कार्य करता है।
बरेली, 21 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने कोलकाता में आयोजित एक कार्यक्रम में स्पष्ट किया कि आरएसएस मुस्लिम विरोधी नहीं है। उन्होंने कहा कि मैं सभी को आमंत्रित करता हूं कि जो देखना चाहते हैं, वे आएं, हमारे दरवाजे हमेशा खुले हैं। इस पर बरेली के मौलाना शहाबुद्दीन रिजवी ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की।
मौलाना शहाबुद्दीन रिजवी ने कहा कि आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने हमेशा समाज को एकजुट करने वाली बातें की हैं। उन्होंने एक बार कहा था कि मुसलमान के बिना भारत अधूरा है। एक और अवसर पर, जब ज्ञानवापी मस्जिद, संभल, आगरा और बदायूं की जामा मस्जिद को लेकर कानूनी मामले चल रहे थे, तब उन्होंने कहा था कि हर मस्जिद के नीचे मूर्तियां मत तलाशो।
मौलाना रिजवी का कहना है कि मोहन भागवत का सकारात्मक और गंभीर बयान एक बार फिर यह दर्शाता है कि आरएसएस मुस्लिम विरोधी नहीं है। वह पहले भी कई बार यह कह चुके हैं।
उन्होंने आगे कहा कि जब किसी संगठन का प्रमुख इस प्रकार की बातें करता है, तो उस पर विश्वास करना चाहिए। मोहन भागवत ने हमेशा समाज को एकजुट करने और नफरत को कम करने के लिए ऐसे बयान दिए हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि आरएसएस को लेकर मुसलमानों में विभिन्न दृष्टिकोण हैं। पढ़े-लिखे मुसलमान, जिन्होंने आरएसएस के विषय में जानकारी हासिल की है, वे समझते हैं कि आरएसएस मुसलमानों के खिलाफ नहीं है। दूसरी ओर, कुछ लोग जानकारी के अभाव में आरएसएस को अपना दुश्मन मानते हैं। सच्चाई यह है कि आरएसएस एक सामाजिक संगठन है और यह देश के हित में कार्य करता है।
कोलकाता में ‘कोलकाता व्याख्यानमाला तृतीय सत्र – 100 वर्ष की संघ यात्रा: नए क्षितिज’ कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि यह धारणा कि संघ मुस्लिम विरोधी है, गलत है। संघ में कोई दरवाजा बंद नहीं है। कभी भी आकर आरएसएस को देखिए। यदि आपको लगता है कि हम मुस्लिम विरोधी हैं, तो ऐसी धारणा बनाइए।