क्या मुरुगप्पा ग्रुप की कंपनियों में 10,000 करोड़ रुपए से अधिक का रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन हुआ?
सारांश
Key Takeaways
- रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन का मामला गंभीर है।
- ऑडिटर्स और रेटिंग कंपनियों के बीच हितों का टकराव हो सकता है।
- जांच में कैश डिपॉजिट के आंकड़े हैरान करने वाले हैं।
नई दिल्ली, 23 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। कोबरा पोस्ट के संपादक अनिरुद्ध बहल ने मंगलवार को जानकारी दी कि चोलामंडलम इन्वेस्टमेंट एंड फाइनेंस कंपनी लिमिटेड और मुरुगप्पा ग्रुप की संबंधित कंपनियों में 10,000 करोड़ रुपए से अधिक का रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन सामने आया है, जो कि स्पष्ट रूप से हितों के टकराव का मामला है।
समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में बहल ने कहा कि हमारी जांच में यह पाया गया है कि ऑडिटर्स अत्यधिक फीस ले रहे हैं। यह समस्या नहीं है, लेकिन ऑडिटर्स और रेटिंग कंपनियों के बीच हितों का टकराव नहीं होना चाहिए। यहां ग्रुप की कंपनियां ऑडिटर्स और रेटिंग कंपनियों के साथ वित्तीय लेनदेन कर रही हैं, जो हितों के टकराव को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।
उन्होंने आगे कहा कि संबंधित पार्टी ट्रांजैक्शन 10,000 करोड़ रुपए से अधिक हैं और हमने उसी पर ध्यान केंद्रित किया है। हमें जो कैश डिपॉजिट मिले हैं, वे अत्यंत चौंकाने वाले हैं और हमारे लिए यह एक ग्रे एरिया बना हुआ है।
कोबरापोस्ट न्यूज वेबसाइट ने मंगलवार को आरोप लगाया कि पिछले एक दशक के दौरान, चोलामंडलम इन्वेस्टमेंट एंड फाइनेंस कंपनी लिमिटेड और मुरुगप्पा ग्रुप की संबंधित कंपनियों, परिवार के सदस्यों और प्रमुख प्रबंधन कर्मचारियों के नेटवर्क के माध्यम से 10,000 करोड़ रुपए से अधिक का रिलेटेड-पार्टी ट्रांजैक्शन हुआ है, जिससे रेगुलेटरी और गवर्नेंस से संबंधित चिंताएं बढ़ गई हैं।
कोबरापोस्ट ने एक बयान में कहा, "हमारी जांच से यह भी पता चलता है कि इन फंड्स का कुछ हिस्सा आगे और ट्रांजैक्शन के जरिए भेजा गया, जिनकी प्रकृति और मकसद की बारीकी से रेगुलेटरी जांच होनी चाहिए।" जांच में यह भी पाया गया कि चोलामंडलम ने पिछले छह सालों में 14 बैंकों में 25,000 करोड़ रुपए से अधिक कैश जमा किए हैं। इनमें से आठ प्राइवेट संस्थाएं हैं और बाकी पब्लिक सेक्टर बैंक हैं। यह आंकड़े अनुमानित हैं और यदि किसी सक्षम वैधानिक अथॉरिटी द्वारा इनकी जांच की जाती है तो इनमें बदलाव संभव है।
कोबरापोस्ट ने दावा किया कि उसकी जांच कानूनी फाइलिंग और सार्वजनिक खुलासों पर आधारित है, जो भारत की सबसे बड़ी लिस्टेड नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों में से एक, चोलामंडलम से जुड़े बड़े कैश ट्रांजैक्शन, संदिग्ध रिलेटेड पार्टी अरेंजमेंट, चौंकाने वाले कानूनी खुलासे और कंप्लायंस गैप का चिंताजनक पैटर्न प्रस्तुत करते हैं।
कोबरापोस्ट ने यह भी आरोप लगाया कि उसके एनालिसिस में कुछ क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां, ऑडिटिंग फर्म, ईशा फाउंडेशन जैसे नॉन-प्रॉफिट संगठन शामिल हैं, जिन्हें चोलामंडलम और मुरुगप्पा ग्रुप की दूसरी कंपनियों से फंड मिला है।
हालांकि, मुरुगप्पा ग्रुप ने स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में इन आरोपों को बेबुनियाद बताकर खारिज किया और इन्हें गलत इरादों का परिणाम बताया।