क्या मुस्लिम समुदाय को गरबा पंडालों में जाने से परहेज करना चाहिए?

सारांश
Key Takeaways
- आरिफ मसूद ने मुस्लिम समुदाय से गरबा पंडालों में जाने से परहेज करने की अपील की है।
- भाजपा द्वारा विवादित बयानों का आरोप लगाया गया है।
- गरबा एक खुशियों का त्योहार है, और इसे श्रद्धा से मनाना चाहिए।
भोपाल, 18 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। नवरात्रि का त्योहार नजदीक आ रहा है और पूरे देश में गरबा और अन्य आयोजनों का उत्साह बढ़ रहा है। इस बीच, मुस्लिम समुदाय की भागीदारी को लेकर मध्य प्रदेश में गरबा पर सियासी विवाद तेज हो गया है। कांग्रेस नेता आरिफ मसूद ने भाजपा नेताओं के बयानों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भाजपा के नेता त्योहारों से पहले जानबूझकर ऐसे बयान देते हैं, जिससे माहौल बिगड़ता है.
उन्होंने मुस्लिम समुदाय से अपील की कि वे गरबा पंडालों में जाने से बचें ताकि किसी प्रकार का विवाद न हो। राष्ट्र प्रेस से बातचीत में उन्होंने कहा कि भाजपा नवरात्रि जैसे त्योहारों के दौरान तनाव बढ़ाने वाले बयान देती है। उन्होंने कहा कि नवरात्रि का त्योहार खुशियों का है और लोग इसे श्रद्धा से मनाते हैं, लेकिन भाजपा के नेता इसे विवाद का विषय बनाते हैं.
उन्होंने मुस्लिम समुदाय को सुझाव दिया कि गरबा आयोजनों में शामिल होने से बचना चाहिए। उनका तर्क है कि इससे किसी भी संभावित विवाद या तनाव से बचा जा सकता है, खासकर जब कुछ संगठन पहले से ही इस मुद्दे को हवा दे रहे हैं।
हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि यदि गरबा आयोजन समिति किसी को आमंत्रित करती है, तो इसमें कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। लेकिन, सावधानी बरतने की अपील भी की है.
बता दें कि बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने जिला मजिस्ट्रेट को ज्ञापन सौंपकर गरबा/डांडिया कार्यक्रमों में मुस्लिम समुदाय के प्रवेश पर प्रतिबंध की मांग की है। पिछले वर्ष भी इस प्रकार की मांग की गई थी। कई स्थानों पर मुस्लिम समुदाय के लोगों की एंट्री पर प्रतिबंध लगाया गया था.
हाल ही में भोपाल में उठे लव जिहाद के मामले के बाद इस साल भी उम्मीद की जा रही है कि गरबा-पंडालों में मुसलमानों की एंट्री प्रतिबंधित की जाएगी। भोपाल में भाजपा के कुछ नेताओं ने गरबा-पंडालों में मुसलमानों की एंट्री पर प्रतिबंध लगाने की आवाज तेज कर दी है.