क्या 'ऑपरेशन सिंदूर' पर चर्चा पहले होनी चाहिए थी?

सारांश
Key Takeaways
- ऑपरेशन सिंदूर पर पहले चर्चा होनी चाहिए थी।
- सच्चाई के महत्व पर जोर दिया गया है।
- पाकिस्तान के प्रोपेगेंडा का खंडन आवश्यक है।
- सरकार को पारदर्शिता से कार्य करना चाहिए।
- भाजपा के बयान पर सवाल उठाए गए हैं।
मुंबई, 30 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। संसद के मानसून सत्र में 'ऑपरेशन सिंदूर' पर चर्चा हो रही है। कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने बुधवार को कहा कि इस विषय पर चर्चा और पहले होनी चाहिए थी।
उन्होंने कहा, "ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा पहले होनी चाहिए थी। कांग्रेस पार्टी और विपक्ष ने इसकी मांग की थी। इससे हमें मौका मिलता कि संसद में सर्वदलीय प्रस्ताव लाकर यह बताते कि हम सरकार और सशस्त्र बलों के साथ खड़े हैं। इसके अभाव में पाकिस्तान के प्रोपेगेंडा और मीडिया में जो खबरें आ रही थीं, उनका खंडन नहीं कर पाए। सरकार की ओर से हमेशा कहा जाता रहा है कि हम बाद में बताएंगे। कुछ लड़ाकू विमान गिरे, लेकिन उनकी संख्या कम थी। ऐसे में वे डर क्यों रहे थे?"
उन्होंने आगे कहा, "युद्ध में सच्चाई सबसे महत्वपूर्ण होती है। सभी को याद होगा कि यूक्रेन-रूस युद्ध में यूक्रेन ने ड्रोन हमले के जरिए रूस के कई विमानों को नुकसान पहुंचाया, लेकिन रूस चुप नहीं रहा, उन्होंने वीडियो दिखाकर अपनी गलती को स्वीकार किया। अगर सच्चाई को बताया जाएगा तो लोगों का विश्वास और बढ़ेगा।"
चव्हाण ने कहा, "मीडिया में दिखाया गया था कि हमने कराची और इस्लामाबाद पर कब्जा कर लिया और आसिम मुनीर को गिरफ्तार कर लिया। ऐसी खबरें नेशनल मीडिया पर चल रही थीं और पीएम मोदी खुशी मना रहे थे। क्या उन्होंने मीडिया पर कोई कार्रवाई की?"
उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के उस बयान पर भी प्रतिक्रिया दी जिसमें उन्होंने अजमल कसाब को बिरयानी खिलाने की बात कही थी। उन्होंने कहा, "कसाब को फांसी किसने दी? जब पीएम मोदी बिन बुलाए मेहमान के तौर पर पाकिस्तान जाते हैं, तो उस समय बिरयानी खाना ठीक था। बेकार की बातें उठाकर जनता को गुमराह नहीं करना चाहिए।"