क्या राजद और कांग्रेस की पहचान 'क्रेडिट खोर' और 'क्रेडिट चोर' है? : सम्राट चौधरी

सारांश
Key Takeaways
- बिहार की राजनीति में क्रेडिट लेने का चलन बढ़ा है।
- सम्राट चौधरी ने कांग्रेस और राजद पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
- डोमिसाइल नीति बिहार के युवाओं के लिए महत्वपूर्ण है।
- एनडीए सरकार की नीति और दृष्टि पर सवाल उठे हैं।
- राजद और कांग्रेस का शासन काल विवादित रहा है।
पटना, 5 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में इस वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच कार्यों का क्रेडिट लेने की होड़ तेज हो गई है। सरकार द्वारा की गई किसी भी घोषणा पर विपक्ष इसे नकल बताकर खुद को क्रेडिट लेने की कोशिश कर रहा है। इस संदर्भ में, बिहार के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने मंगलवार को कांग्रेस और राजद पर जोरदार हमला किया।
उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कांग्रेस को निशाना बनाते हुए कहा, "राजद और कांग्रेस की पहचान एक ही है: एक 'क्रेडिट खोर' और दूसरा 'क्रेडिट चोर'।" उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पुराने दौर की याद दिलाते हुए लिखा, "बिहार में 15 साल लालू प्रसाद जी का वह कुख्यात 90 के दशक का शासन रहा। इसके पहले 40 साल बिहार की बदहाली का कांग्रेस का शासन रहा। केंद्र में राजद-कांग्रेस मिलकर 2014 तक शासन करते रहे। लेकिन बिहार में न तो रोजगार ला पाए, न व्यापार ला पाए, न जातिवार जनगणना करवा पाए, और न ही बिहार के युवाओं को अवसर देने की नीति लागू कर पाए।"
उन्होंने आगे कहा, "लेकिन एनडीए सरकार जो भी करे, वे कूदकर क्रेडिट लेने निकल पड़ते हैं। यदि उनकी सरकार में कुछ किए होते, तो आज क्रेडिट लेने के लिए छटपटाना नहीं पड़ता।"
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि राजद और कांग्रेस की पहचान है- एक क्रेडिट खोर और दूसरा क्रेडिट चोर।
वास्तव में, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को शिक्षक बहाली में डोमिसाइल नीति लागू करने की घोषणा की थी। इसके तुरंत बाद, बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने सरकार को निशाने पर लेते हुए इसे नकलची सरकार कह दिया। उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार बिहार में डोमिसाइल नीति लागू करने की हमारी मांग को सिरे से खारिज करती थी, और अब वही लोग हमारी योजनाओं की तरह इस घोषणा की भी नकल कर रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा कि स्पष्ट है कि 20 वर्षों की इस नकलची एनडीए सरकार की अपनी कोई नीति, दृष्टि और विजन नहीं है। जिस सरकार को 20 सालों में यह नहीं पता था कि क्या करना है, उसे हमारे इशारों, मांगों और घोषणाओं पर नाचते देख बिहारवासियों को अच्छा लग रहा है।