क्या बिहार चुनाव 2025 में बिहारशरीफ सीट पर राजद की लालटेन जलेगी या भाजपा का किला अभेद्य रहेगा?

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क्या बिहार चुनाव 2025 में बिहारशरीफ सीट पर राजद की <b>लालटेन</b> जलेगी या <b>भाजपा</b> का किला अभेद्य रहेगा?

सारांश

बिहार चुनाव 2025 में बिहारशरीफ सीट की राजनीति गरमाई हुई है। क्या राजद की लालटेन जल पाएगी या भाजपा का किला अजेय रहेगा? जानें इस सीट के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक पहलू और वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य के बारे में।

Key Takeaways

  • बिहारशरीफ विधानसभा क्षेत्र की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर।
  • मुख्य मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच।
  • भाजपा का कब्जा वर्तमान में इस सीट पर।
  • उम्मीदवारों की सूची और चुनावी रणनीति।
  • कांग्रेस और राजद की स्थिति।

पटना, 18 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहारशरीफ विधानसभा सीट नालंदा लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। इसमें बिहारशरीफ और रहुई प्रखंड शामिल हैं। जिला मुख्यालय होने के कारण यह क्षेत्र प्रशासन और राजनीति दोनों दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। बिहार शरीफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह नगर है, लेकिन इस सीट पर फिलहाल भाजपा का कब्जा है।

बिहारशरीफ नगर बड़ी पहाड़ी की तलहटी में पंचाने नदी के किनारे स्थित है। इसकी भू-आकृति मुख्यतः समतल है, जिसमें कुछ पहाड़ी क्षेत्र भी शामिल हैं। यह क्षेत्र प्राचीन काल से ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध रहा है।

पाल वंश के शासनकाल में यह क्षेत्र एक प्रमुख केंद्र था और यहीं ओदंतपुरी महाविहार स्थित था, जो नालंदा महाविहार के बाद सबसे प्राचीन बौद्ध शिक्षण संस्थान था। इसके चरम काल में लगभग 12,000 छात्र भारत और आसपास के क्षेत्रों से अध्ययन करने आते थे। 12वीं शताब्दी के अंत में इसे तुर्क आक्रमणकारी मुहम्मद बिन बख्तियार खिलजी ने नष्ट कर दिया।

बताया जाता है कि बिहारशरीफ नगर का नाम 'विहार' (मठ) से उत्पन्न हुआ और बाद में 13वीं शताब्दी में सूफी संत शेख मखदूम शर्फुद्दीन अहमद यहिया मनेरी के सम्मान में 'शरीफ' जोड़ा गया।

बिहारशरीफ विधानसभा क्षेत्र में कई ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल स्थित हैं। इनमें बड़ी दरगाह और खानकाह, बाबा मणिराम अखाड़ा, शीतला मंदिर, मघड़ा, मालिक इब्राहिम बर्यो का मकबरा, मोरा तालाब और तेतरावां प्रमुख हैं। ये स्थल न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र हैं, बल्कि स्थानीय संस्कृति और इतिहास की समृद्धि को भी दर्शाते हैं।

बिहारशरीफ विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1951 में हुई थी। अब तक इस सीट पर कुल 18 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। शुरुआती चार चुनावों में कांग्रेस का दबदबा रहा, कुल पांच बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की। इसके अलावा सीपीआई और भाजपा (जनसंघ सहित) ने 4-4 बार, जदयू ने 3 बार, जबकि जनता पार्टी और राजद ने 1-1 बार जीत हासिल की है।

आज बिहारशरीफ विधानसभा सीट पर मुख्य मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच है। 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार डॉ. सुनील कुमार ने 81514 वोटों से जीत दर्ज की थी। उन्होंने इस सीट पर राजद के सुनील कुमार को हराया था।

इस बार कांग्रेस ने उमैर खान, जन स्वराज पार्टी ने दिनेश कुमार और भारतीय जनता पार्टी ने सुनील कुमार को उम्मीदवार बनाया है। 2005 से इस सीट से सुनील कुमार विधायक रहे हैं।

Point of View

NationPress
18/10/2025

Frequently Asked Questions

बिहारशरीफ विधानसभा सीट का इतिहास क्या है?
बिहारशरीफ विधानसभा सीट की स्थापना 1951 में हुई थी और यह नालंदा लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है।
2020 में इस सीट पर किसने जीत हासिल की थी?
2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के डॉ. सुनील कुमार ने 81514 वोटों से जीत दर्ज की थी।
बिहारशरीफ सीट पर मुख्य मुकाबला किसके बीच है?
बिहारशरीफ विधानसभा सीट पर मुख्य मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच है।
इस बार कौन-कौन उम्मीदवार हैं?
इस बार कांग्रेस ने उमैर खान, जन स्वराज पार्टी ने दिनेश कुमार और भाजपा ने सुनील कुमार को उम्मीदवार बनाया है।
बिहारशरीफ का नाम कैसे पड़ा?
बिहारशरीफ का नाम 'विहार' (मठ) से उत्पन्न हुआ और 13वीं शताब्दी में सूफी संत के सम्मान में 'शरीफ' जोड़ा गया।