क्या सदन में ड्रामा नहीं, डिलीवरी होनी चाहिए? शीतकालीन सत्र से पहले पीएम मोदी का संदेश
सारांश
Key Takeaways
- सदन में ड्रामा की जगह नहीं है।
- सभी दलों को सहयोग करना चाहिए।
- युवा सांसदों को अधिक अवसर दिए जाने चाहिए।
- नीतियों पर चर्चा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
- नकारात्मकता से देश का निर्माण नहीं होता।
नई दिल्ली, 1 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत से पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को मीडिया से बातचीत करते हुए स्पष्ट किया कि संसद परिसर में ड्रामा करने के लिए बहुत सारी जगहें हैं, लेकिन सदन में हंगामे के लिए कोई स्थान नहीं है। उन्होंने कहा कि सदन में ड्रामा नहीं, डिलीवरी होनी चाहिए।
उन्होंने सभी राजनीतिक दलों, विशेष रूप से विपक्ष से अपील की कि वे सत्र को सुचारू और गरिमामय तरीके से चलाने में सहयोग दें।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि संसद देश की आशाओं और अपेक्षाओं का केंद्र है। ऐसे में यहां नारेबाजी नहीं, बल्कि नीतियों पर गंभीर चर्चा होनी चाहिए। नारे नहीं, नीति पर जोर देना चाहिए और इसके लिए नीयत होनी चाहिए।
पीएम मोदी ने कहा कि चुनावी पराजय की निराशा को भुलाना चाहिए और रचनात्मक चर्चा में भाग लेना चाहिए। कुछ राजनीतिक दल अभी भी बिहार विधानसभा चुनाव के परिणाम को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं, लेकिन संसद निराशा का मैदान नहीं बननी चाहिए।
उन्होंने कहा, "सत्र किसी पक्ष की निराशा या किसी की विजय के अहंकार का अखाड़ा नहीं बनना चाहिए। नकारात्मकता से देश का निर्माण नहीं होता।"
अपने संबोधन में, पीएम मोदी ने युवा सांसदों को अधिक अवसर देने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि नए सदस्यों के अनुभव और उनकी नई सोच से देश को लाभ होना चाहिए। हमारी युवा पीढ़ी जो नई दृष्टि लाती है, उससे सदन भी लाभान्वित होना चाहिए और इसके माध्यम से देश को भी नए विचार मिलने चाहिए।
प्रधानमंत्री ने एक बार फिर कहा कि सदन ड्रामा की जगह नहीं है। यह काम करने की जगह है। हमें जिम्मेदारी की भावना के साथ काम करना होगा।
पीएम मोदी ने सभी दलों को संदेश देते हुए कहा, "मेरी सभी दलों से अपील है कि शीतकालीन सत्र में पराजय की बौखलाहट मैदान नहीं बननी चाहिए और यह सत्र विजय के अहंकार में भी परिवर्तित नहीं होना चाहिए।"
इससे पहले, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने सोमवार को उम्मीद जताई कि संसद के सभी सदस्य लोकतंत्र की परंपराओं को मजबूत करने और शीतकालीन सत्र को 'प्रोडक्टिव' बनाने के लिए सार्थक योगदान देंगे।