क्या 'संशोधित आयकर विधेयक' से विवादों और मुकदमों में कमी आएगी? : बैजयंत पांडा

सारांश
Key Takeaways
- संशोधित आयकर विधेयक 2025 में चयन समिति की सिफारिशें शामिल हैं।
- यह विवादों और मुकदमों में कमी लाएगा।
- विधेयक 1 अप्रैल, 2026 से लागू होगा।
- यह टैक्स प्रणाली को सरल बनाएगा।
- आधुनिक टैक्स भाषा पेश करेगा।
नई दिल्ली, 11 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। लोकसभा से 'संशोधित आयकर विधेयक, 2025' को मंजूरी मिली है। इस संशोधित विधेयक में चयन समिति द्वारा की गई अधिकांश सिफारिशों का समावेश किया गया है। भाजपा नेता बैजयंत पांडा ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता बैजयंत पांडा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक पोस्ट में लिखा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को आयकर विधेयक 2025 के लोकसभा में पास होने पर बधाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 1,500 से अधिक कानूनों को निरस्त और संशोधित किया गया है, जिससे भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती और चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। यह नया अधिनियम टैक्स को समझने और अनुपालन करने में सरलता लाकर विकास को तेज गति देगा, जिससे विवादों और मुकदमों में कमी आएगी।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 'संशोधित आयकर विधेयक, 2025' पेश किया और सदन में आयकर अधिनियम, 1961 और वित्त अधिनियम, 2025 में संशोधनों पर विचार करने का आग्रह किया। लोकसभा की कार्यवाही के दौरान विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच इस विधेयक को ध्वनिमत से पारित किया गया।
आयकर विधेयक, 2025 छह दशक पुराने आयकर अधिनियम, 1961 की जगह लेगा और इसमें भाजपा सांसद बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली संसदीय चयन समिति की 285 से अधिक सिफारिशों को शामिल किया गया है।
वास्तव में, संशोधित ड्राफ्ट टैक्स भाषा को सरल बनाता है, कटौतियों को स्पष्ट करता है और प्रावधानों के बीच क्रॉस-रेफरेंसिंग को मजबूत करता है। विशेष रूप से, यह घर या मकान की संपत्ति से आय की अस्पष्टताओं का समाधान करता है, जिसमें मानक कटौती और घर के लोन पर प्री-कंस्ट्रक्शन ब्याज शामिल है।
विधेयक में 'पूंजीगत संपत्ति', 'लघु और छोटे उद्यम' और 'लाभार्थी स्वामी' जैसे शब्दों की स्पष्ट परिभाषाएं दी गई हैं। इसके अलावा, पेंशन योगदान और वैज्ञानिक अनुसंधान व्यय के लिए कर उपचार को समन्वयित किया गया है। यह 1 अप्रैल, 2026 से लागू होगा।