क्या लोगों का सरकार से विश्वास उठ गया है? शिवसेना-यूबीटी ने 'ऑपरेशन सिंदूर' पर सरकार को घेरा

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क्या लोगों का सरकार से विश्वास उठ गया है? शिवसेना-यूबीटी ने 'ऑपरेशन सिंदूर' पर सरकार को घेरा

सारांश

शिवसेना (यूबीटी) ने सरकार के 'ऑपरेशन महादेव' पर प्रश्न उठाए हैं और इसे एक राजनीतिक खेल करार दिया है। क्या यह सच है कि सरकार ने विपक्ष के प्रश्नों से बचने के लिए सुलेमान जैसे मामलों को गढ़ा है?

Key Takeaways

  • शिवसेना (यूबीटी) ने 'ऑपरेशन महादेव' पर सवाल उठाए हैं।
  • सरकार पर विपक्ष के सवालों से बचने का आरोप है।
  • सुलेमान आतंकी की मर्डर एक महत्वपूर्ण घटना है।
  • भाजपा का हिंदुत्व और देशभक्ति पर सवाल उठाए गए हैं।
  • लोगों का सरकार पर विश्वास कम हो रहा है।

मुंबई, 30 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। शिवसेना (यूबीटी) ने आतंकवादियों के खिलाफ चल रहे 'ऑपरेशन महादेव' पर गंभीर प्रश्न उठाए हैं। उद्धव ठाकरे की पार्टी का कहना है कि सरकार विपक्ष के प्रश्नों से बचने के लिए सुलेमान जैसे मुद्दे को गढ़ रही है। उल्लेखनीय है कि सुलेमान, जो लश्कर का आतंकी है, 'ऑपरेशन महादेव' के तहत सोमवार को मारा गया। यह आतंकी पहलगाम हमले में संलिप्त था।

शिवसेना (यूबीटी) ने अपने पत्रिका 'सामना' के संपादकीय में आरोप लगाया कि भाजपा ने 'ऑपरेशन सिंदूर' को एक राजनीतिक तमाशे में बदल दिया है। पार्टी ने यह भी कहा कि भाजपा का हिंदुत्व और देशभक्ति केवल एक दिखावा है।

ऑपरेशन महादेव की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए शिवसेना-यूबीटी ने कहा, "जब संसद में 'ऑपरेशन सिंदूर' पर चर्चा हो रही थी, तभी कश्मीर में तीन आतंकियों के मारे जाने की खबर आई। कहा गया कि उनमें से एक सुलेमान, पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड था। क्या अब कोई इस पर विश्वास करेगा?"

संपादकीय में यह भी कहा गया, "लोगों का सरकार पर विश्वास समाप्त हो गया है। ऑपरेशन सिंदूर पर विपक्ष के प्रश्नों से बचने के लिए सरकार ऐसे मुद्दों का सहारा ले रही है। लोकसभा में सरकार बेनकाब हो चुकी है।"

शिवसेना-यूबीटी ने संपादकीय में एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के बयान का संदर्भ देते हुए पूछा, "क्या सरकार पहलगाम में मारे गए 26 लोगों के घर जाकर उन्हें बता सकती है कि हमने बदला ले लिया है? अब आप भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच देख सकते हैं?"

सामना के संपादकीय में आगे कहा गया, "प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तानियों को चेतावनी दी थी कि 'पानी और खून साथ-साथ नहीं बहेंगे', लेकिन जय शाह की कृपा से भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच अवश्य होने वाला है। इस पर अमित शाह का क्या कहना है?"

संपादकीय में कहा गया, "विपक्ष के सदस्य जैसे गौरव गोगोई, अरविंद सावंत, सुप्रिया सुले और ओवैसी ने सरकार की सुरक्षा में चूक और ऑपरेशन सिंदूर के परिणाम पर गंभीर प्रश्न उठाए, लेकिन पीएम मोदी लोकसभा में विपक्ष के प्रश्नों का सामना करने के बजाय अपने कक्ष में बैठे रहे।"

शिवसेना-यूबीटी ने यह भी पूछा, "प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया पर कहा कि राजनाथ सिंह और जयशंकर ने बेहतरीन भाषण दिए। तो क्या भाजपा और उनके मंत्रिमंडल के लोगों के पास विपक्षी नेताओं की तारीफ करने के लिए स्याही खत्म हो गई है? जो लोग यह कहकर कि 'हम पीओके के लिए जान दे देंगे,' बड़ी-बड़ी बातें कर रहे थे, वे पीओके के भारत में विलय का अवसर आने पर युद्ध के मैदान से भाग गए और क्रिकेट के मैदान में पाकिस्तानियों के साथ खेलने लगे। यह देशद्रोह है और ऐसे लोगों का कोर्ट मार्शल होना चाहिए।"

सामना के संपादकीय में आगे लिखा गया है, "ये लोग (भाजपा) युद्ध में भी भावनात्मक राजनीति और हिंदुत्व ले आए। भारत में पहले 'ऑपरेशन विजय' और 'ऑपरेशन पराक्रम' जैसे सफल अभियान चलाए गए थे, लेकिन ऑपरेशन महादेव और ऑपरेशन सिंदूर जैसे भावनात्मक खेल प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में शुरू हुए हैं। इससे सेना के पराक्रम का महत्व कम हुआ है।"

'भारत-पाकिस्तान युद्ध में पांच जेट गिराए गए', डोनाल्ड ट्रंप के इस दावे पर शिवसेना-यूबीटी ने कहा, "राजनाथ सिंह संसद में इस पर कुछ नहीं कह सके। उन्होंने गोलमोल जवाब दिए।"

Point of View

यह आवश्यक है कि हम तथ्यों को ध्यान में रखते हुए निष्पक्ष दृष्टिकोण अपनाएं। सरकार के कार्यों और उनके परिणामों पर सवाल उठाने का हक हर नागरिक का है। हमें इस पर विचार करना चाहिए कि क्या यह राजनीतिक खेल वास्तव में हमारे देश की सुरक्षा को प्रभावित कर रहा है।
NationPress
14/09/2025

Frequently Asked Questions

क्या 'ऑपरेशन महादेव' वास्तव में सफल रहा?
जी हां, 'ऑपरेशन महादेव' के तहत सेना ने एक महत्वपूर्ण आतंकी को मारा है, लेकिन इसके परिणामों पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
शिवसेना (यूबीटी) का क्या कहना है?
शिवसेना (यूबीटी) ने इसे एक राजनीतिक तमाशा करार दिया है और सरकार पर आरोप लगाया है कि वह विपक्ष के सवालों से बच रही है।
क्या सरकार पर से लोगों का विश्वास उठ गया है?
शिवसेना (यूबीटी) के अनुसार, लोगों का सरकार पर विश्वास कम हो गया है और इस मुद्दे पर व्यापक चर्चा हो रही है।