क्या सरकारी क्षेत्र के बैंकों के विनिवेश और विलय का कोई प्रस्ताव है?
सारांश
Key Takeaways
- सरकार ने सरकारी बैंकों के विनिवेश और विलय पर विचार नहीं किया है।
- सरकारी बैंकों का एनपीए रेश्यो कम हो रहा है।
- अनक्लेम्ड डिपॉजिट की वापसी में भारतीय बैंकों ने महत्वपूर्ण कार्य किया है।
नई दिल्ली, 2 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। सरकार ने मंगलवार को संसद में बताया कि वर्तमान में सरकारी क्षेत्र के बैंकों के विनिवेश और विलय के किसी प्रस्ताव पर कोई चर्चा नहीं हो रही है।
राज्यसभा में पूछे गए सवाल - क्या सरकार चार सरकारी बैंकों का विनिवेश या विलय कर 2026 तक बड़े सरकारी बैंक बनाने की योजना बना रही है, का जवाब देते हुए पंकज चौधरी ने कहा, "इस समय केंद्र किसी भी सरकारी बैंक के विनिवेश या विलय पर विचार नहीं कर रहा है।"
हाल ही में कई रिपोर्ट्स में कहा गया था कि सरकार एक पीएसबी कंसोलिडेशन ब्लूप्रिंट पर काम कर रही है, जिससे वित्त वर्ष 27 में सरकारी बैंकों की संख्या 12 से घटकर केवल चार हो सकती है। इस प्रस्ताव का उद्देश्य सरकारी बैंकों की बैलेंस शीट को मजबूत करना, ऑपरेशनल एफिशिएंसी में सुधार करना और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बढ़ावा देना है।
केंद्रीय राज्य मंत्री ने कहा कि सरकारी बैंकों का ग्रॉस नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) रेश्यो जून 2025 तक 2.51 प्रतिशत हो जाएगा, जो कि मार्च 2016 में 9.27 प्रतिशत था।
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि राइट-ऑफ किए जाने वाले लोन की रिकवरी एक निरंतर प्रक्रिया है और बैंक उधार न चुकाने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं।
इससे पहले सरकार ने कहा था कि भारतीय बैंकों ने पिछले तीन वर्षों में 10,000 करोड़ रुपए से अधिक के अनक्लेम्ड डिपॉजिट वापस किए हैं।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि 30 जून, 2025 तक, सरकारी बैंकों ने इस फंड में 58,000 करोड़ रुपए से अधिक की राशि ट्रांसफर की है, जिसमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) की हिस्सेदारी 19,330 करोड़ रुपए है।
निजी बैंकों ने इस फंड में 9,000 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए हैं, जिसमें आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और एक्सिस बैंक की हिस्सेदारी सबसे अधिक है।