क्या एसआईआर की आड़ में लोकतांत्रिक प्रणाली पर हमला हो रहा है?
सारांश
Key Takeaways
- लोकतांत्रिक संस्थाओं की सुरक्षा आवश्यक है।
- मतदाता सूची के पुनरीक्षण में पारदर्शिता होनी चाहिए।
- हमेशा पात्र मतदाताओं के अधिकारों की रक्षा की जानी चाहिए।
विजयवाड़ा, १७ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। सीपीएम प्रवक्ता चिगुरुपति बाबू राव ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के नाम पर पात्र मतदाताओं को मतदाता सूची से वंचित करने का प्रयास कर रही है, जिसे हम किसी भी कीमत पर सफल नहीं होने देंगे। ऐसे प्रयास लोकतांत्रिक संस्थाओं को ध्वस्त करने के उद्देश्य से किए जा रहे हैं, जिसे हम सफल नहीं होने देंगे।
समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से विशेष बातचीत में उन्होंने कहा कि मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया केवल एक बहाना है। ऐसा कुछ भी नहीं है। ये लोग कहते हैं कि हम एसआईआर के तहत अपात्र मतदाताओं (घुसपैठियों) को चिन्हित कर रहे हैं। इस तर्क में कोई सच्चाई नहीं है। सच्चाई यह है कि ये लोग मौजूदा राजनीतिक स्थिति को अपने पक्ष में करने का प्रयास कर रहे हैं, जो पूरी तरह से गलत है। हम इसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं कर सकते।
सीपीएम प्रवक्ता ने कहा कि हम एसआईआर की प्रक्रिया के खिलाफ आंदोलन करेंगे। हमारा यह आंदोलन जारी रहेगा, क्योंकि यह प्रक्रिया लोकतांत्रिक संस्थाओं पर सीधा हमला है, जिसे हम अपने शासन व्यवस्था में किसी भी कीमत पर सहन नहीं कर सकते। हम इसके मुखर विरोधी रहे हैं और आगे भी रहेंगे।
उन्होंने दावा किया कि पश्चिम बंगाल में अब तक मतदाता सूची की आड़ में ५० लाख मतदाताओं को हटा दिया गया है। इसी तरह का कुचक्र बिहार में भी रचा गया, जिसमें ये लोग सफल हुए। मुझे जानकारी मिली है कि आने वाले दिनों में ये लोग १२ राज्यों में ऐसा ही चक्रव्यूह रचने वाले हैं। ऐसा करके पूरी राजनीतिक स्थिति को अपने पक्ष में करने की कोशिश की जा रही है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार चुनाव आयोग के साथ मिलकर इस लोकतांत्रिक प्रणाली में मतदाताओं को चयनित करने का प्रयास कर रही है। घुसपैठियों के नाम पर पात्र मतदाताओं को हटाया जा रहा है, इसलिए हम लोकतंत्र को सुरक्षित रखने के लिए आंदोलन कर रहे हैं और यह आंदोलन जारी रहेगा।