क्या एसआईआर पर विपक्षी दलों का विरोध बेवजह है? भाजपा सांसद सुशील सिंह का बयान

Click to start listening
क्या एसआईआर पर विपक्षी दलों का विरोध बेवजह है? भाजपा सांसद सुशील सिंह का बयान

सारांश

बिहार के एसआईआर पर राहुल गांधी की यात्रा और सुशील सिंह के विचारों का विश्लेषण। क्या विरोध उचित है? जानिए इस मुद्दे पर दोनों पक्षों की बातें।

Key Takeaways

  • एसआईआर का उद्देश्य मतदाता सूची को सही और अद्यतन करना है।
  • सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को वोटर वेरिफिकेशन का अधिकार दिया है।
  • विपक्षी दलों का विरोध राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का हिस्सा है।
  • सभी पक्षों को अपनी चिंताओं को उठाने का अधिकार है।
  • यह प्रक्रिया फर्जी मतदाताओं को हटाने के लिए आवश्यक है।

नई दिल्ली, 14 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर चुनाव आयोग और भाजपा पर मिलीभगत का आरोप लगाने वाले कांग्रेस सांसद राहुल गांधी अब बिहार यात्रा पर जाने वाले हैं। उनके इस कदम को पूर्व भाजपा सांसद सुशील सिंह ने बेवजह बताया है।

गुरुवार को राष्ट्र प्रेस से बातचीत में उन्होंने कहा कि विपक्षी दल एसआईआर के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को वोटर वेरिफिकेशन का अधिकार दिया है। यह प्रक्रिया फर्जी और मृत मतदाताओं को हटाने के लिए आवश्यक है, जो कि मतदाताओं के अधिकारों का हनन नहीं है। वोटर वेरिफिकेशन के लिए 11 दस्तावेज मांगे गए हैं। एसआईआर पर विपक्षी दलों के वकीलों ने याचिका दायर की है। कोर्ट में सुनवाई के दौरान उनके प्रश्नों का तार्किक उत्तर दिया गया है।

आयोग ने विपक्षी दलों के वकीलों से पूछा कि बताएं एसआईआर गलत क्यों है?

पूर्व भाजपा सांसद के अनुसार, एसआईआर पूरी तरह से मान्य है। आयोग को अधिकार है कि वह वोटर वेरिफिकेशन करवा सकता है। उन्होंने कहा कि वोटर लिस्ट में मौजूद फर्जी मतदाताओं, मृत व्यक्तियों या बिहार छोड़कर अन्य राज्यों में बसने वाले लोगों को हटाना आवश्यक है। यह काम एसआईआर के माध्यम से किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ताओं को शर्म आनी चाहिए और उन्हें देश तथा चुनाव आयोग से माफी मांगनी चाहिए।

पूर्व भाजपा सांसद ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सांसद मनोज झा के उस बयान को तालिबानी टिप्पणी करार दिया, जिसमें उन्होंने 'वोट चोरी' एसआईआर समेत तेजस्वी यादव के चुनाव बहिष्कार वाले बयान पर कहा था कि लोग चुनाव का बहिष्कार कर सकते हैं, जैसा कि बांग्लादेश में देखा गया। चुनाव आयोग से विनती की गई है कि वह बांग्लादेश के चुनाव आयोग को आदर्श न बनाएं और संवेदनशीलता प्रदर्शित करें। चुनाव आयोग को अपने इतिहास का अध्ययन करना चाहिए।

मनोज झा के बयान पर पूर्व भाजपा सांसद सुशील सिंह ने पलटवार करते हुए कहा कि ऐसी टिप्पणियां तालिबानी बयानों जैसी हैं। यह एक संवैधानिक संस्था है और इस प्रकार की टिप्पणियां इसमें कार्यरत अधिकारियों का मानसिक उत्पीड़न करती हैं। मैं ऐसे बयानों की आलोचना करता हूं।

Point of View

लेकिन यह भी आवश्यक है कि चुनावी प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष हो। एसआईआर जैसे कदमों से मतदाता सूची को साफ करना महत्वपूर्ण है, ताकि लोकतंत्र की नींव मजबूत हो सके।
NationPress
23/08/2025

Frequently Asked Questions

एसआईआर क्या है?
एसआईआर का मतलब विशेष गहन पुनरीक्षण है, जो मतदाता सूची को अद्यतन और सही करने के लिए किया जाता है।
क्यों विपक्षी दल एसआईआर का विरोध कर रहे हैं?
विपक्षी दलों का कहना है कि यह प्रक्रिया राजनीतिक लाभ के लिए की जा रही है, जबकि भाजपा इसे आवश्यक मानती है।
क्या सुप्रीम कोर्ट ने एसआईआर को मान्यता दी है?
हां, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को वोटर वेरिफिकेशन का अधिकार दिया है।
क्या एसआईआर से मतदाता अधिकारों का हनन होता है?
नहीं, एसआईआर का उद्देश्य फर्जी और मृत मतदाताओं को हटाना है, जो मतदाता अधिकारों का हनन नहीं है।
किसी भी प्रक्रिया को चुनौती देने का अधिकार है?
हाँ, सभी पक्षों को अपनी चिंताओं को अदालत में रखने का अधिकार है।