क्या थोल थिरुमावलवन ने चुनावी लाभ के लिए वीसीके को डीएमके के हवाले किया?
सारांश
Key Takeaways
- थोल थिरुमावलवन पर भाजपा का आरोप गंभीर है।
- वीसीके का डीएमके के साथ गठबंधन उसके सिद्धांतों के खिलाफ है।
- राजनीतिक लाभ के लिए गठबंधन बनाना आम बात है।
चेन्नई, २४ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की तमिलनाडु इकाई ने विदुथलाई चिरुथिगल काची (वीसीके) के अध्यक्ष थोल थिरुमावलवन पर कड़ा प्रहार किया है। भाजपा का कहना है कि थिरुमावलवन ने सीमित चुनावी लाभ के बदले अपनी पार्टी को सत्तारूढ़ द्रविड़ मुन्नेत्र कजगम (डीएमके) के हाथों गिरवी रख दिया है।
भाजपा प्रवक्ता एएनएस प्रसाद ने कहा कि वीसीके के पास कोई स्वतंत्र वैचारिक पहचान या राज्यव्यापी राजनीतिक दृष्टि नहीं है।
उन्होंने आरोप लगाया कि डीएमके के साथ थिरुमावलवन का निरंतर गठबंधन उन मूल सिद्धांतों के विपरीत है, जिनके तहत अनुसूचित जाति के अधिकारों की रक्षा के लिए वीसीके की स्थापना की गई थी।
हाल ही में चेन्नई में हुए क्रिसमस समारोह का उल्लेख करते हुए प्रसाद ने कहा कि वीसीके नेता पर 'अवसरवादी अल्पसंख्यक तुष्टीकरण' का आरोप लगाया गया है। उन्होंने कहा कि थिरुमावलवन ने ईसाई धर्म पर बोलने से परहेज किया, जबकि हिंदू धार्मिक प्रतीकों और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे संगठनों की आलोचना की।
भाजपा नेता ने कहा कि इस तरह की हरकतें विभाजनकारी राजनीति को दर्शाती हैं, जिसका उद्देश्य सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देने के बजाय वोट बैंक को मजबूत करना है।
बयान में आगे आरोप लगाया गया कि थिरुमावलवन तमिलनाडु में दलितों से जुड़ी कई घटनाओं पर आवाज उठाने में विफल रहे हैं, जिनमें हिंसा, कथित अत्याचार और सरकारी स्कूलों और छात्रावासों में बुनियादी ढांचे की उपेक्षा के मामले शामिल हैं।
वित्तीय आंकड़ों पर प्रकाश डालते हुए भाजपा प्रवक्ता ने दावा किया कि अनुसूचित जाति उप-योजना (एससीएसपी) के तहत केंद्र द्वारा अनुसूचित जाति कल्याण के लिए आवंटित धनराशि या तो अप्रयुक्त रही या राज्य सरकार द्वारा उसका दुरुपयोग किया गया है।
उन्होंने हाल के वर्षों के आंकड़ों का हवाला देते हुए तर्क किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में किए गए आवंटन के बावजूद जमीनी स्तर पर कल्याणकारी परिणाम अपर्याप्त रहे हैं।
प्रसाद ने थिरुमावलवन पर डीएमके की ओर से राजनीतिक वार्ताओं में मध्यस्थ की भूमिका निभाने और सार्वजनिक रूप से अन्य पार्टियों की आलोचना करने का भी आरोप लगाया, जिसे उन्होंने 'राजनीतिक नाटक' बताया।
उन्होंने यह कहते हुए अपनी बात समाप्त की कि यदि वीसीके अब स्वतंत्र रूप से कार्य करने का इरादा नहीं रखती है, तो उसे सामाजिक न्याय की राजनीति का दिखावा जारी रखने के बजाय डीएमके में 'खुले तौर पर विलय' कर लेना चाहिए।