क्या उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन पर कुछ कहना जल्दबाजी होगी? - हरीश रावत

सारांश
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन की जीत पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि अभी उनके बारे में कुछ कहना जल्दबाजी होगी और आगे देखना होगा कि वे देश को कैसे चलाते हैं।
Key Takeaways
- उपराष्ट्रपति की भूमिका महत्वपूर्ण है।
- सीपी राधाकृष्णन की जीत भाजपा के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।
- हरीश रावत का बयान राजनीतिक संतुलन को प्रभावित कर सकता है।
- नेपाल में हिंसा गंभीर मुद्दा है।
- अंतरराष्ट्रीय संबंधों में द्वेष का ध्यान रखना आवश्यक है।
देहरादून, 10 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। उपराष्ट्रपति चुनाव में सीपी राधाकृष्णन की जीत पर उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि सीपी राधाकृष्णन को अगले उपराष्ट्रपति के रूप में चुना गया है, लेकिन उनके बारे में अभी कुछ कहना कठिन है। हमें देखना होगा कि उपराष्ट्रपति के रूप में वे देश को कैसे संचालित करते हैं, राज्यसभा का संचालन कैसे करते हैं और विपक्ष तथा पक्ष को साथ कैसे लेकर चलते हैं।
कांग्रेस नेता हरीश रावत ने बुधवार को राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए कहा कि उपराष्ट्रपति को विपक्ष और पक्ष दोनों का सम्मान करना चाहिए। हालाँकि, हमने ऐसे समय भी देखे हैं जब उपराष्ट्रपति भाजपा के प्रवक्ता के रूप में कार्य करते हैं।
हरीश रावत ने पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि आज एक बड़ा सवाल है जिसका उत्तर देश को भाजपा से मांगना चाहिए: "जिस व्यक्ति को आपने पहले दो तिहाई बहुमत से जितवाया, वे बीच में क्यों इस्तीफा देने पर मजबूर हुए? क्या यह उनकी इच्छा थी या उन्हें ऐसा करने को कहा गया?" यह सब अभी संदेह के घेरे में है।
उपराष्ट्रपति चुनाव में 14 विपक्षी सांसदों द्वारा क्रॉस वोटिंग के संबंध में उन्होंने कहा कि इस क्रॉस वोटिंग की जांच की जाएगी। इंडी गठबंधन की एकता इससे स्पष्ट होती है। यह तय हो गया है कि इंडी गठबंधन मिलकर कार्य करेगा, और जो साथी गठबंधन के बाहर चले गए थे, वे भी वापस आ गए हैं। ओवैसी की पार्टी गठबंधन का हिस्सा नहीं है, लेकिन वे भी साथ आ गए।
नेपाल में हुई हिंसा पर कांग्रेस नेता हरीश रावत ने दुःख प्रकट किया। उन्होंने कहा कि 'जेन जी' आंदोलन राजनीतिक दलों और व्यवस्थाओं के लिए एक चेतावनी है। यह कान खोलने वाला एक सबक है। नेपाल के लोगों को विचार करना चाहिए कि जिस तरीके से वे आंदोलन के नाम पर अपने देश की संपत्तियों को नुकसान पहुँचा रहे हैं, यह बिल्कुल भी उचित नहीं है।
उन्होंने कहा कि विरोध करने के और भी तरीके हैं, लेकिन इस तरह आग लगाना सही नहीं है। नेपाल के साथ हिमाचल का बेटी-रोटी का रिश्ता है, इसलिए वहां की हर घटना का असर हम पर भी पड़ता है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत और पीएम मोदी के बारे में किए गए पोस्ट पर चुटकी लेते हुए उन्होंने कहा कि ट्रंप तो पीएम मोदी के करीबी मित्र हैं। वे कभी एक दिल दो जान की बात करते थे, और अब भारत पर इतना बड़ा टैरिफ लगा दिया है।
पीएम मोदी के उत्तरकाशी दौरे का भी जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हमें हिमालय, विशेषकर मध्य हिमालय के लिए, एक दृष्टिकोण विकसित करने की आवश्यकता है ताकि हम जलवायु परिवर्तन का मुकाबला कर सकें।