क्या राष्ट्रीय लोक अदालत को लेकर फैली गलत अफवाह ने रामनगर कोर्ट में भीड़ जुटाई?
सारांश
Key Takeaways
- रामनगर कोर्ट में बिजली और पानी के बिलों का निपटारा नहीं होता।
- सोशल मीडिया पर फैली अफवाहों से जनता में भ्रम उत्पन्न हुआ।
- वर्चुअल कोर्ट में ट्रैफिक चालानों का निपटारा किया जाता है।
- अधिवक्ताओं ने प्रशासन से सही जानकारी देने की अपील की है।
- स्थानीय लोगों के लिए वर्चुअल कोर्ट की शाखा खोलने की मांग।
रामनगर, 13 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। शनिवार को रामनगर कोर्ट परिसर में उस समय अफरा-तफरी का माहौल उत्पन्न हुआ, जब बिजली और पानी के बिल कम या माफ होने की अफवाह के चलते सैकड़ों लोग राष्ट्रीय लोक अदालत में पहुंच गए। बाद में स्पष्ट हुआ कि यह गलत सूचना सोशल मीडिया और मौखिक चर्चाओं के माध्यम से फैलाई गई थी, जिसके कारण आम जनता भ्रमित होकर कोर्ट आई।
अधिवक्ता दीपक जोशी ने बताया कि आज रामनगर कोर्ट में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया है, लेकिन इसका उद्देश्य बिजली-पानी के सामान्य बिलों को कम करना या माफ करना नहीं है। उन्होंने कहा कि लोक अदालत में मुख्य रूप से वाहनों के चालान, एक्साइज एक्ट से जुड़े मामलों और कुछ समझौता योग्य केसों का निपटारा किया जाता है। बिजली विभाग से जुड़े मामलों में केवल बिजली चोरी, विभागीय मुकदमे या न्यायालय में लंबित मामलों पर विचार किया जाता है, न कि नियमित घरेलू बिलों पर।
अधिवक्ता दीपक जोशी ने यह भी बताया कि वर्तमान में अधिकांश ट्रैफिक चालान वर्चुअल कोर्ट के माध्यम से किए जा रहे हैं। जगह-जगह लगे कैमरों से कटने वाले चालानों का निपटारा वर्चुअल कोर्ट नैनीताल में होता है, न कि रामनगर कोर्ट में, लेकिन जनता को इस प्रक्रिया की सही जानकारी न होने के कारण लोग रामनगर कोर्ट पहुंच रहे हैं, जिससे उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने मांग की कि रामनगर में भी वर्चुअल कोर्ट की एक शाखा होनी चाहिए, ताकि स्थानीय लोगों को न्याय के लिए नैनीताल न जाना पड़े।
वहीं, अधिवक्ता अतुल अग्रवाल ने कहा कि पूरे देश में शनिवार को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया है, लेकिन रामनगर क्षेत्र में यह अफवाह फैल गई कि नियमित बिजली और पानी के बिलों में भी छूट मिलेगी। इसी भ्रम के चलते हजारों लोग कोर्ट पहुंचे, जबकि रामनगर कोर्ट में ऐसे मामलों के निस्तारण के लिए न तो कोई प्रावधान है और न ही संबंधित विभागों के अधिकारी मौजूद हैं।
कोर्ट पहुंचे अमिर नामक व्यक्ति ने बताया कि उन्होंने सुना था कि लोक अदालत में बिजली-पानी के बिल कम हो रहे हैं, इसी उम्मीद में वह कोर्ट आए थे, यहां आकर पता चला कि केवल नोटिस वाले मामलों पर ही विचार किया जाता है। वहीं, टेंपो चालक मोहम्मद फरीद ने बताया कि उनके ऊपर कैमरे से 5000 का चालान हुआ था, जिसे वह लोक अदालत में निपटाने आए थे, लेकिन बाद में जानकारी मिली कि यह चालान वर्चुअल कोर्ट नैनीताल में जमा होगा।
गलत सूचना और जागरूकता की कमी के कारण रामनगर कोर्ट में भारी भीड़ जुटी, जिससे लोगों को निराश होकर लौटना पड़ा। प्रशासन और न्यायिक व्यवस्था से अब यह अपेक्षा की जा रही है कि लोक अदालत और वर्चुअल कोर्ट की प्रक्रिया को लेकर स्पष्ट और समय पर जानकारी आम जनता तक पहुंचाई जाए।