क्या बांका सिविल कोर्ट में राष्ट्रीय लोक अदालत का सफल आयोजन हुआ?
सारांश
Key Takeaways
- राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन न्यायालयों की कार्यप्रणाली को सरल बनाता है।
- इसमें मामलों का त्वरित निपटारा किया गया।
- लोगों को न्याय की सुविधा उपलब्ध कराई गई।
- यह आयोजन न्यायिक सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
- बड़े पैमाने पर मामलों का निपटारा किया गया।
बांका, 13 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। बांका में शनिवार को सिविल कोर्ट परिसर में राष्ट्रीय लोक अदालत का सफल आयोजन किया गया। लोक अदालत का विधिवत शुभारंभ जिला एवं सत्र न्यायाधीश सत्य भूषण आर्य, जिलाधिकारी नवदीप शुक्ला और अन्य न्यायिक पदाधिकारियों द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया गया। इसके पश्चात मुख्य अतिथियों का स्वागत किया गया और लोक अदालत की कार्यवाही प्रारंभ हुई।
राष्ट्रीय लोक अदालत के सुचारू संचालन के लिए कुल 11 बेंचों का गठन किया गया था, जहां अलग-अलग प्रकार के मामलों की सुनवाई की गई। सुबह से ही न्यायालय परिसर में फरियादियों की भीड़ जुटने लगी थी। लोगों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए हेल्प डेस्क भी स्थापित किया गया था, जहां कर्मियों द्वारा वादकारियों को आवश्यक मार्गदर्शन और सहायता प्रदान की जा रही थी।
इस अवसर पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सत्य भूषण आर्य ने अपने संबोधन में कहा कि न्यायालयों में मुकदमों के बढ़ते बोझ को कम करने के लिए समय-समय पर लोक अदालत का आयोजन किया जाता है। लोक अदालत के माध्यम से आपसी सहमति और न्यूनतम समझौते के आधार पर मामलों का निपटारा कर फरियादियों को त्वरित और सुलभ न्याय उपलब्ध कराया जाता है।
जानकारी के अनुसार, इस राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल 9,836 मामलों को सूचीबद्ध किया गया था, जिसके लिए संबंधित पक्षकारों को पूर्व में नोटिस भेजे गए थे। शनिवार को आयोजित लोक अदालत में 5,487 मामलों का ऑन द स्पॉट निष्पादन किया गया। इसके साथ ही जिले के विभिन्न ऋणधारकों से जुड़े मामलों में कुल 6 करोड़ 98 लाख 17 हजार 895 रुपए का समझौता (सेटलमेंट) कराया गया।
लोक अदालत की कार्यवाही शाम 5 बजे तक चली। इस दौरान कई न्यायिक अधिकारी, अधिवक्ता, न्यायालय कर्मी एवं प्रशासनिक पदाधिकारी उपस्थित रहे। राष्ट्रीय लोक अदालत के सफल आयोजन से न सिर्फ वादकारियों को राहत मिली, बल्कि न्यायिक व्यवस्था पर पड़ रहे बोझ को कम करने में भी महत्वपूर्ण योगदान मिला।