क्या युद्ध में सफलता के लिए 'सरप्राइज' फैक्टर महत्वपूर्ण है? : सीडीएस

सारांश
Key Takeaways
- युद्ध में सरप्राइज एक महत्वपूर्ण तत्व है।
- राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए तीन घटक आवश्यक हैं।
- भारत ने उरी और बालाकोट में मजबूत सैन्य शक्ति का प्रदर्शन किया।
- सुदर्शन चक्र वायु रक्षा प्रणाली का लक्ष्य 2035 है।
- भविष्य में युद्ध तकनीकी और रोबोटिक्स पर निर्भर करेगा।
गोरखपुर, 5 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। ‘भारत के समक्ष राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौतियां’ विषयक संगोष्ठी में मुख्य अतिथि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) अनिल चौहान ने कहा कि युद्ध में सफलता पाने के लिए सरप्राइज एक अत्यंत महत्वपूर्ण फैक्टर है। उरी सर्जिकल स्ट्राइक में भारत ने ज़मीन के रास्ते आतंकी ठिकानों को नष्ट किया, जबकि बालाकोट में एयर स्ट्राइक का सहारा लिया गया। पहलगाम हमले के बाद लो एयर स्पेस और ड्रोन का उपयोग किया गया। भारतीय सेनाओं ने हर बार दुश्मन को सरप्राइज देकर अपने लक्ष्य को पूरा किया।
सीडीएस ने कहा कि राष्ट्र की सुरक्षा के लिए भारतीय सेनाएं 365 दिन, 24×7 के फार्मूले पर हमेशा तैयार रहती हैं। आतंकवादी कहीं भी हों, उन्हें खोजकर समाप्त किया जाएगा। सीडीएस जनरल चौहान ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा एक व्यापक और महत्वपूर्ण विषय है। हर वर्ग और व्यक्ति इसे अपने दृष्टिकोण से देखता है। राजदूत इसे द्विपक्षीय या बहुपक्षीय दृष्टि से देखते हैं, जबकि अर्थशास्त्री इसे आर्थिक सुरक्षा के दृष्टिकोण से देखते हैं। सैनिक का दृष्टिकोण भी भिन्न होता है।
उन्होंने बताया कि आचार्य चाणक्य ने राष्ट्र की सुरक्षा के लिए चार तत्व बताए हैं: आंतरिक खतरे, बाह्य खतरे, बाहरी सहयोग से आंतरिक खतरे और आंतरिक सहयोग से बाहरी खतरे। सीडीएस ने कहा कि राष्ट्र की सुरक्षा के लिए तीन घटक महत्वपूर्ण हैं: भूमि की सुरक्षा, विचारधारा की सुरक्षा और नागरिकों की सुरक्षा। इन तीनों की सुरक्षा राष्ट्र की सुरक्षा के लिए अनिवार्य है।
उन्होंने सैन्य तत्परता के लिए रक्षा संसाधनों, अनुसंधान एवं विकास और रणनीतिक संस्कृति को महत्वपूर्ण बताया। इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि आने वाले समय में नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी की आवश्यकता होगी। सीडीएस जनरल चौहान ने एक जर्मन विद्वान के उद्धरण के हवाले से कहा कि अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में युद्ध, राजनीति का विस्तार है। युद्ध और अंतरराष्ट्रीय राजनीति को अलग नहीं किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि सैन्य क्षमता की मजबूती इस बात पर निर्भर करती है कि किसी राष्ट्र ने शांति काल में रक्षा क्षेत्र में कितना खर्च किया। सीडीएस ने बताया कि भारत की तीनों सेनाओं ने गलवान, बालाकोट में मजबूत सैन्य शक्ति का प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि बालाकोट हमले के बाद भारत और पाकिस्तान दोनों ने अलग-अलग सबक सीखे। पाकिस्तान ने एयर डिफेंस पर ध्यान केंद्रित किया, तो भारत ने दूरी से हमला करने वाले हथियारों पर।
सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने कहा कि राजनीतिक नेतृत्व से सैन्य बलों को दिशा मिलती है। ऑपरेशन सिंदूर में नेतृत्व से यह स्पष्ट निर्देश था कि आतंकी ठिकानों को निशाना बनाना है, नागरिक ठिकानों को नहीं। दुश्मन के किसी भी उकसावे पर सेना को जवाबी कार्रवाई की खुली छूट दी गई थी। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर का मकसद केवल बदला लेना नहीं था, बल्कि धैर्य का स्तर भी बढ़ाना था। यह ऐसा पहला युद्ध था जिसमें दुश्मन से आमने-सामने की लड़ाई बहुत कम थी। इसमें न कोई फ्रंट था और न रियर। ऑपरेशन सिंदूर अभी ऑफिशियली समाप्त नहीं किया गया है।
सीडीएस ने कहा कि भारत में राष्ट्र की सुरक्षा की पहली चुनौती सीमा विवाद है। पाकिस्तान और चीन से हुई लड़ाइयाँ सीमा विवाद का परिणाम हैं। पाकिस्तान की तरफ से प्रॉक्सी वार, पड़ोसी देशों में अस्थिरता और युद्ध के बदलते स्वरूप अन्य चुनौतियां हैं। उन्होंने कहा कि युद्ध का स्वरूप अब विकेंद्रीकरण की ओर बढ़ रहा है। भविष्य में नई तकनीकी आधारित, रोबोटिक्स और मानवरहित युद्ध हो सकते हैं।
उन्होंने कहा कि ‘न्यू नॉर्मल’ नीति ऐसी स्थिति है जो संकट समाप्त होने के बाद बनती है। कोविड के बाद वर्क फ्रॉम होम और नोटबंदी के बाद डिजिटल लेनदेन की आदत। लेकिन न्यू नॉर्मल में यह स्पष्ट है कि आतंकवाद और बातचीत, व्यापार साथ-साथ नहीं चल सकते। सीडीएस ने अपने संबोधन में पीएम मोदी द्वारा घोषित ‘सुदर्शन चक्र’ वायु रक्षा प्रणाली की चर्चा की और कहा कि इसे 2035 तक पूरा करने का लक्ष्य है। सुदर्शन चक्र तलवार और ढाल दोनों का काम करेगा। उन्होंने कहा कि सुरक्षित और सशक्त भारत वसुधैव कुटुम्बकम की भूमिका निभाना चाहता है।