क्या जमानत का मतलब यह है कि पार्थ चटर्जी 'भ्रष्टाचार से मुक्त' हो गए?

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क्या जमानत का मतलब यह है कि पार्थ चटर्जी 'भ्रष्टाचार से मुक्त' हो गए?

सारांश

पार्थ चटर्जी को जमानत मिलना एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन यह उनकी कानूनी स्थिति को नहीं बदलता। माकपा सांसद विकास रंजन भट्टाचार्य ने इस मामले पर गहरी चिंता व्यक्त की है। क्या जमानत का मतलब यह है कि वे सभी भ्रष्टाचार के आरोपों से मुक्त हो गए हैं?

Key Takeaways

  • पार्थ चटर्जी को जमानत मिली है, लेकिन यह उनके आरोपों को समाप्त नहीं करता।
  • भट्टाचार्य का कहना है कि जमानत एक सामान्य प्रक्रिया है।
  • सीबीआई की जांच पर राजनीतिक दबाव हो सकता है।
  • जमानत का प्रभाव गवाहों और सबूतों पर निर्भर करेगा।
  • यह मामला लंबे समय से अदालत में है।

कोलकाता, 18 अगस्‍त (राष्ट्र प्रेस)। उच्चतम न्यायालय ने भ्रष्टाचार से संबंधित सीबीआई मामले में पार्थ चटर्जी को जमानत प्रदान की है। यह मामला पश्चिम बंगाल के चर्चित 'कैश फॉर स्कूल जॉब' घोटाले से संबंधित है। इस पर माकपा सांसद विकास रंजन भट्टाचार्य ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की।

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और माकपा सांसद विकास रंजन भट्टाचार्य ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत के दौरान कहा कि जमानत हर किसी का अधिकार है। वह काफी समय से हिरासत में थे। इसलिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दी गई जमानत कोई असामान्य बात नहीं है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन जमानत मिलने का मतलब यह नहीं कि चटर्जी सभी भ्रष्टाचार के आरोपों से मुक्त हो गए हैं। यह मुकदमे की प्रगति पर निर्भर करेगा, और अगर मुकदमा तेजी से चलता है, तो मुझे पूरा विश्वास है कि उन्हें और अन्य अधिकारियों को दोषी ठहराया जाएगा।

जमानत के परिणाम पर पूछे जाने पर, भट्टाचार्य ने कहा कि वे गवाहों पर प्रभाव डालने की कोशिश करेंगे, सबूतों को नष्ट करने का प्रयास करेंगे, लेकिन यह कार्य आसान नहीं होगा। सीबीआई ने जांच की है और यदि सीबीआई इस सरकार के साथ मिलकर काम नहीं करती है, तो चिंता की कोई बात नहीं है। लेकिन अगर सीबीआई पश्चिम बंगाल सरकार के साथ मिलीभगत करती है और इसका उद्देश्य राजनीतिक लाभ उठाना है, तो हम उन्हें यह खेल जारी रखने की अनुमति नहीं देंगे।

भट्टाचार्य ने कहा कि यह मामला लंबे समय से लंबित है और राज्य ने अनुमतियाँ रोक रखी हैं। सीबीआई का कर्तव्य था कि वह एक निश्चित आवेदन के साथ अदालत में जाती, जो उन्होंने नहीं किया। शायद जांच अधिकारी सोचते हैं कि सब कुछ वही पक्ष करेगा, जिसने इस भ्रष्टाचार को उजागर किया।

यह पहली बार नहीं है जब पार्थ चटर्जी को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है। इससे पहले, उन्हें 13 दिसंबर 2024 को मनी लॉन्ड्रिंग मामले (ईडी केस) में जमानत दी गई थी।

Point of View

और जमानत का मिलना एक सामान्य प्रक्रिया है। इससे यह स्पष्ट नहीं होता कि आरोपी सभी आरोपों से मुक्त हो गए हैं। न्यायालय के समक्ष सबूत और गवाहों की स्थिति महत्वपूर्ण होगी।
NationPress
18/08/2025

Frequently Asked Questions

पार्थ चटर्जी को जमानत क्यों मिली?
उच्चतम न्यायालय ने उन्हें जमानत दी क्योंकि वह लंबे समय से हिरासत में थे और जमानत हर किसी का अधिकार है।
क्या जमानत का मतलब है कि चटर्जी दोषी नहीं हैं?
नहीं, जमानत मिलने का मतलब यह नहीं कि वे सभी आरोपों से मुक्त हो गए हैं।
भट्टाचार्य ने क्या कहा?
भट्टाचार्य ने कहा कि जमानत सामान्य प्रक्रिया है और मुकदमा आगे बढ़ने पर ही स्थिति स्पष्ट होगी।
क्या सीबीआई जांच पर असर पड़ेगा?
अगर सीबीआई पश्चिम बंगाल सरकार के साथ मिलीभगत करती है, तो जांच प्रभावित हो सकती है।
यह मामला कब तक लंबित है?
यह मामला काफी समय से लंबित है और राज्य ने अनुमतियाँ रोक रखी हैं।