क्या लभेर से डिहाइड्रेशन और फोड़े-फुंसियों का इलाज संभव है?

सारांश
Key Takeaways
- लभेर का फल डिहाइड्रेशन से बचाता है।
- फोड़े-फुंसियों के उपचार में लसोड़े का प्रयोग किया जाता है।
- इसका अचार ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।
- लभेर की लकड़ी का प्रयोग विभिन्न वस्तुओं के निर्माण में होता है।
- यह पौधा कई औषधीय गुणों से भरपूर है।
नई दिल्ली, 23 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। प्रकृति के उपहार में ऐसे कई फल हैं, जिनका हम आज भी सही ज्ञान नहीं रखते। इनमें से एक प्रमुख फल है लभेर, जिसे लोग लमेड़ा, लसोढ़ा आदि नामों से जानते हैं। यह एक ऐसा पौधा है, जिसके फल, छाल, पत्तियां और गोंद का उपयोग पारंपरिक चिकित्सा में विभिन्न रोगों के उपचार के लिए किया जाता है। यह पौधा भारत में प्रचुरता से पाया जाता है और इसमें कई औषधीय गुण शामिल हैं।
लभेर का वैज्ञानिक नाम कॉर्डिया डाइकोटोमा है। इसके पत्ते चिकने होते हैं और पकने पर इसके फल का रंग पीला हो जाता है। लभेर के फल जून के अंत तक पक जाते हैं। विशेषता यह है कि इसके फलों के पकने से मानसून के आगमन का भी संकेत मिलता है। इसके फल बहुत मीठे होते हैं। पक्षी इसे गुठली सहित खा जाते हैं और इस प्रकार इसके बीज दूर-दूर तक फैल जाते हैं।
इसके अत्यधिक मीठे और चिपचिपे होने के कारण आमतौर पर इसे नहीं खाया जाता, लेकिन इसके अचार का सेवन किया जाता है। वहीं, इसके पत्तों का स्वाद पान जैसा होने के कारण दक्षिण भारत, गुजरात और राजस्थान में लोग पान के स्थान पर लसोड़े का प्रयोग करते हैं। लसोड़ा गाँवों के आसपास के खेतों में प्रचुरता से पाया जाता है। इसकी लकड़ी चिकनी और मजबूत होती है, जिसका उपयोग तख्त और बंदूक के कुंदे बनाने में होता है।
आयुर्वेद में लभेर को एक महत्वपूर्ण औषधि माना गया है। गर्मियों में इसका सेवन करने से डिहाइड्रेशन की समस्या नहीं होती और लू से भी सुरक्षा मिलती है। यह शरीर में खून की कमी को भी दूर करता है और लसोड़े का प्रयोग फोड़े-फुंसियों के उपचार के लिए किया जाता है।
दाद और फोड़े-फुंसी से मुक्ति पाने के लिए लसोड़े के पत्तों की पोटली बनाकर फुंसियों पर बांधने से जल्दी ही राहत मिलती है। इसके बीजों को पीसकर दाद पर लगाने से भी काफी लाभ होता है।
लसोढ़ा की छाल का काढ़ा गरारे करने से गले के कई रोग ठीक हो जाते हैं। इसके अचार का सेवन करने से ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रित किया जा सकता है। इसमें एंटी-कैंसर और एंटी-एलर्जिक गुण भी मौजूद होते हैं। जिन लोगों को पाचन से संबंधित समस्याएं हैं, जैसे गैस, अपच, पेट दर्द, सीने में जलन, दिल और उच्च रक्तचाप से संबंधित समस्याएं हैं, उन्हें इसके अचार के सेवन से परहेज करना चाहिए, क्योंकि इसमें सोडियम की मात्रा होती है, जो कई समस्याएं उत्पन्न कर सकती है।