क्या लद्दाख के लोग स्टेटहुड की मांग कर रहे हैं, हिंसा क्यों अस्वीकार्य है? : नसीर हुसैन

सारांश
Key Takeaways
- लद्दाख के लोग स्टेटहुड की मांग कर रहे हैं।
- हिंसा को गैर-स्वीकृत माना गया है।
- केंद्र सरकार को संवाद स्थापित करना चाहिए।
- युवाओं का आक्रोश बढ़ रहा है।
- आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है।
पटना, २५ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। लद्दाख में बुधवार को हुए हिंसक प्रदर्शन और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कार्यालय में आगजनी की घटना ने देश की सियासत को गरमा दिया है। इस घटना को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बयानबाजी शुरू हो गई है。
भाजपा ने इस हिंसा के लिए विपक्षी दलों को जिम्मेदार ठहराया, जबकि कांग्रेस ने इसे गैर-राजनीतिक प्रदर्शन करार देते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधा है।
कांग्रेस सांसद सैय्यद नसीर हुसैन ने भाजपा के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि यह प्रदर्शन गैर-राजनीतिक था और लद्दाख के लोग अपनी जायज मांगों को लेकर सड़कों पर उतरे थे।
उन्होंने कहा, "लद्दाख के लोग पूर्ण राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची के तहत विशेष अधिकारों की मांग कर रहे थे। वे समानता और अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। हिंसा का हम समर्थन नहीं करते, लेकिन केंद्र सरकार को इसकी जिम्मेदारी लेते हुए स्थानीय लोगों से बातचीत कर मसले का हल निकालना चाहिए।"
हुसैन ने केंद्र सरकार की नीतियों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि देश में युवाओं का आक्रोश बढ़ रहा है और हालात चिंताजनक हैं।
उन्होंने नेपाल जैसे हालात की आशंका को खारिज करते हुए कहा, "लोकतांत्रिक तरीके से विरोध करना गलत नहीं है, लेकिन केंद्र सरकार को देश के गंभीर हालात पर ध्यान देना चाहिए।"
उन्होंने केंद्र के '२ करोड़ नौकरियां प्रतिवर्ष' के वादे को कोरा जुमला करार दिया और कहा कि बेरोजगारी बढ़ रही है, गरीबी रेखा के नीचे रहने वालों की संख्या में इजाफा हो रहा है, आर्थिक गतिविधियां ठप हैं, और कृषि उत्पादन और निर्यात में कमी आई है।
कांग्रेस सांसद ने केंद्र सरकार से इन मुद्दों पर गंभीरता से विचार करने और सुधारात्मक कदम उठाने की मांग की।
उन्होंने कहा, "लद्दाख की मांगों को अनसुना करना ठीक नहीं है। लद्दाख का यह मसला केंद्र सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है। यदि समय रहते इसका समाधान नहीं किया गया तो यह अन्य क्षेत्रों में भी असंतोष को बढ़ावा दे सकता है। केंद्र को वहां के लोगों के साथ संवाद स्थापित करना चाहिए। इसके साथ ही, देश की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए ठोस नीतियां बनानी चाहिए।"