क्या लालू यादव को नौकरी के बदले मिली संपत्ति का दान कर देना चाहिए?

सारांश
Key Takeaways
- लालू यादव का पितृ पक्ष का अनुष्ठान उनके परिवार के लिए महत्वपूर्ण है।
- नीरज कुमार ने संपत्ति के दान की बात की है, जो राजनीति में चर्चा का विषय है।
- गयाजी में पितृपक्ष मेले का राष्ट्रीय महत्व है।
- राजनीति और धर्म का संबंध समाज में गहरा होता है।
- संपत्ति के दान का मुद्दा हमेशा संवेदनशील रहता है।
पटना, 9 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने मंगलवार को अपने परिवार के साथ गयाजी में पिंडदान कर पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित की। जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने लालू परिवार के गयाजी में पिंडदान करने पर कटाक्ष करते हुए कहा कि लालू यादव को नौकरी के बदले मिली संपत्ति को भी दान कर देना चाहिए।
नीरज कुमार ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "मैं लालू प्रसाद यादव से इतना ही कहूंगा कि वह गयाजी नहीं बल्कि गयाजी पहुंचे हैं और सरकारी महकमे का लाभ उठा रहे हैं। मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि गयाजी में विश्वप्रसिद्ध पितृपक्ष मेले को राष्ट्रीय मेले का दर्जा नीतीश कुमार ने दिया है। जब उन्हें राज करने का मौका मिला था तो उन्होंने गयाजी के लिए कुछ नहीं किया। फल्गु नदी, जिसे श्राप था कि वहां कभी पानी नहीं आएगा, वहां नीतीश कुमार ने रबर डैम बनवाया। लालू यादव को नौकरी के बदले मिली संपत्ति को भी दान कर देना चाहिए। उन्होंने दूसरों की संपत्ति लेकर पाप किया है।"
उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर नीरज कुमार ने कहा, "एनडीए गठबंधन उपराष्ट्रपति पद के लिए सर्वसम्मति से चुनाव कराने का पक्षधर था, लेकिन विपक्ष इसके लिए तैयार नहीं था। बात यह है कि यह संवैधानिक पद का चुनाव है और 'इंडिया गठबंधन' के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी ऐसे व्यक्ति से आशीर्वाद लेने गए, जिन्हें वोट देने का अधिकार भी नहीं है। वे तेजस्वी यादव से मिल लेते या पार्टी के अन्य नेताओं से मिल लेते, मगर उन्होंने ऐसे शख्स (लालू) से मुलाकात की, जिन्हें वोट देने का कोई अधिकार नहीं है।"
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव अपने परिवार के सदस्यों के साथ पितृ पक्ष के दौरान विष्णुपद मंदिर में पिंडदान करने के लिए गयाजी पहुंचे हैं। राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा, "पितृ पक्ष शुरू हो गया है, मेरे पिता ने हमारे पूर्वजों के लिए पिंडदान किया। इस अनुष्ठान का बहुत महत्व है, यही वजह है कि हम आज गयाजी आए हैं।"