क्या अपराधियों को नहीं लगता डर, जब ममता बनर्जी हैं? : लॉकेट चटर्जी

सारांश
Key Takeaways
- महिलाओं की सुरक्षा एक गंभीर मुद्दा है।
- सामूहिक दुष्कर्म की घटनाएँ समाज में चिंता का विषय बनी हुई हैं।
- सरकार की नाकामी पर सवाल उठाना आवश्यक है।
- सीबीआई जांच की मांग ने इस मामले को और गंभीर बना दिया है।
- हम सभी को महिलाओं की सुरक्षा के लिए एकजुट होना होगा।
कोलकाता, 28 जून (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की वरिष्ठ नेता लॉकेट चटर्जी ने पश्चिम बंगाल में लॉ कॉलेज की छात्रा के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म के मामले पर ममता बनर्जी की सरकार पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि यदि छात्रा की मृत्यु हो जाती, तो उसे न्याय नहीं मिलता, जैसा कि आरजी कर मामले में हुआ था।
लॉकेट चटर्जी ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि अपराधियों को यह अच्छी तरह समझ में आ गया है कि जब तक ममता बनर्जी मुख्यमंत्री हैं, तब तक उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
उन्होंने बताया कि छात्रा ने पुलिस को बताया था कि उसे जान से मारने की पूरी कोशिश की गई थी। दरिंदों ने उसे हॉकी स्टिक से पीटने की भी कोशिश की। उसकी स्थिति बहुत नाजुक थी। गनीमत यह रही कि किसी ने आकर उसे इनहेलर दिया और उसकी जान बच गई। यदि ऐसा न होता और उसकी मृत्यु हो जाती, तो यह मामला भी ठंडे बस्ते में चला जाता। छात्रा मदद की गुहार लगाती रही, लेकिन किसी ने भी उसे अस्पताल नहीं पहुँचाया।
भाजपा नेता ने कहा कि यदि छात्रा की मृत्यु होती, तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी केवल उधर-उधर की बातें करतीं और कुछ नहीं बोलतीं। यह बहुत ही शर्मनाक है कि जिस राज्य की मुख्यमंत्री एक महिला हैं, वहां महिलाओं का जीना मुश्किल हो गया है।
उन्होंने यह भी कहा कि क्या अब माता-पिता अपने बच्चों को स्कूल और कॉलेज भेजना बंद कर दें? तृणमूल कांग्रेस नेता कल्याण बनर्जी इस मामले को गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड के एंगल से देख रहे हैं। यह शर्म की बात है कि इस सरकार ने महिला सुरक्षा के मुद्दे में अपनी विफलता को छुपाने की कोशिश की है।
लॉकेट चटर्जी ने कहा कि यह महिलाओं की आत्मसम्मान से जुड़ा मुद्दा है। हम सभी को एकजुट होकर सामने आना होगा। मेरा सीधा सवाल है कि आखिर हम बार-बार ममता बनर्जी को वोट क्यों दे रहे हैं, जब हम जानते हैं कि उनके शासन में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं।
इस मुद्दे की सीबीआई जांच की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि इस मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए इसकी जांच सीबीआई की देखरेख में होनी चाहिए।