क्या सुप्रीम कोर्ट ने मेधा पाटकर की सजा को बरकरार रखा?

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क्या सुप्रीम कोर्ट ने मेधा पाटकर की सजा को बरकरार रखा?

सारांश

सुप्रीम कोर्ट ने मेधा पाटकर की सजा को बरकरार रखा है। जानें इस मामले की सभी महत्वपूर्ण बातें और क्या आगे की संभावनाएँ हैं!

Key Takeaways

  • सुप्रीम कोर्ट ने मेधा पाटकर की सजा को बरकरार रखा है।
  • एलजी विनय कुमार सक्सेना ने उनके खिलाफ शिकायत की थी।
  • पाटकर के वकील ने अपीलीय अदालत के निर्णय को चुनौती दी।
  • सुप्रीम कोर्ट ने एक लाख रुपए का जुर्माना रद्द कर दिया।
  • पाटकर के पास अब एसएलपी दायर करने का विकल्प है।

नई दिल्ली, 11 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर की 2001 के एक आपराधिक मानहानि मामले में सजा को बरकरार रखा है। दिल्ली के वर्तमान एलजी विनय कुमार सक्सेना ने उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। तब वो अहमदाबाद में एक एनजीओ के प्रमुख थे।

एलजी सक्सेना के वकील गजिंदर कुमार ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में बताया, "सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की और उसे बरकरार रखा है। यह मामला अब अपने अंतिम चरण में है। अगर मेधा पाटकर सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर करती हैं, तो उनके पक्ष में कुछ संभावना हो सकती है। सजा की राशि लगभग एक करोड़ रुपए या इसके आसपास हो सकती है।"

जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की खंडपीठ ने पाटकर की दोषसिद्धि में हस्तक्षेप करने से इनकार किया, लेकिन एक लाख रुपए के जुर्माने को रद्द कर दिया।

बता दें कि निचली अदालत ने पाटकर को प्रोबेशन अवधि लागू कर जेल की सजा से छूट दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने प्रोबेशन आदेश में संशोधन करते हुए समय-समय पर उपस्थिति की अनिवार्यता को हटाया और इसके बजाय उन्हें मुचलका भरने की अनुमति दी।

पाटकर की ओर से सीनियर वकील संजय पारिख ने दलील दी कि अपीलीय अदालत ने दो प्रमुख गवाहों के बयानों पर विश्वास नहीं किया। साथ ही, मामले में प्रस्तुत एक महत्वपूर्ण ईमेल, जो साक्ष्य के रूप में पेश की गई थी, भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 65बी के तहत प्रमाणित नहीं थी।

दूसरी ओर, सक्सेना का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील ने तर्क दिया कि पाटकर पर कम से कम प्रतीकात्मक जुर्माना लगाया जाना चाहिए।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 29 जुलाई को सक्सेना द्वारा दायर इस मानहानि मामले में पाटकर की दोषसिद्धि को बरकरार रखा था। अब पाटकर के पास सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर करने का विकल्प बचा है। यह मामला दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना द्वारा दायर किया गया था, जो उस समय अहमदाबाद स्थित गैर सरकारी संगठन नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज के प्रमुख थे।

Point of View

हमें यह समझना चाहिए कि इस मामले में न्याय का महत्व है। मेधा पाटकर एक महत्वपूर्ण सामाजिक कार्यकर्ता हैं, और उनका मामला न्याय प्रणाली में विभिन्न पहलुओं को उजागर करता है। हमें हमेशा न्याय और सत्य के पक्ष में खड़ा रहना चाहिए।
NationPress
11/08/2025

Frequently Asked Questions

सुप्रीम कोर्ट ने मेधा पाटकर की सजा क्यों बरकरार रखी?
सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका में कोई उचित आधार नहीं था।
क्या मेधा पाटकर अब अपील कर सकती हैं?
हाँ, मेधा पाटकर सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर कर सकती हैं।
इस मामले में सजा की राशि क्या है?
सजा की राशि लगभग एक करोड़ रुपए या इसके आसपास हो सकती है।
क्या उनकी दोषसिद्धि में कोई बदलाव हो सकता है?
अगर सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की जाती है, तो संभव है कि कुछ बदलाव हो।
इस मामले में एलजी का क्या रोल है?
दिल्ली के एलजी विनय कुमार सक्सेना ने इस मामले में शिकायत दर्ज कराई थी।