क्या त्रिशक्ति का यह अद्भुत मंदिर श्मशान से घिरा है, और तंत्र विद्या के लिए खास अनुष्ठान होते हैं?
सारांश
Key Takeaways
- मंदिर की स्थापना द्वापर युग में हुई थी।
- यहां मां बगलामुखी के साथ मां लक्ष्मी और मां सरस्वती की पूजा होती है।
- तंत्र विद्या के लिए यह एक प्रमुख केंद्र है।
- मंदिर चारों दिशाओं से श्मशान से घिरा है।
- यहां खड़ी हल्दी चढ़ाने की अनोखी परंपरा है।
नई दिल्ली, 28 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। तंत्र साधना और कष्टों से मुक्ति पाने के लिए असम में मां कामाख्या देवी की पूजा होती है, लेकिन भारत के मध्य में, मध्य प्रदेश में ऐसी त्रिदेवी शक्तियां हैं जिन्हें राज्य की रक्षक के रूप में माना जाता है।
हम बात कर रहे हैं मां बगलामुखी की, जिन्हें ऊर्जा और सकारात्मक शक्तियों का स्रोत माना जाता है।
मंदिर त्रिशक्ति माता बगलामुखी का स्थान मध्य प्रदेश के आगर जिले की तहसील नलखेड़ा में लखुंदर नदी के किनारे है। यह मंदिर द्वापर युग से यहां स्थापित है और इसका संबंध महाभारत के युद्ध से भी है। यहां शैव और शाक्त मार्गी संप्रदायों के साधु तांत्रिक अनुष्ठानों के लिए आते हैं। इस मंदिर में माता बगलामुखी के अलावा माता लक्ष्मी, श्रीकृष्ण, हनुमान, भैरव और सरस्वती की मूर्तियां भी स्थापित हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, अज्ञातवास के समय पांडवों ने भगवान श्रीकृष्ण के निर्देश पर मां बगलामुखी की कठोर तपस्या की थी और महाभारत के युद्ध में विजय प्राप्त की थी। इसलिए, इस मंदिर को शत्रुओं पर विजय पाने का स्थान माना जाता है। यहां तक कि बड़े से बड़े तंत्र भी मंदिर की दहलीज पर आकर दम तोड़ देते हैं। तंत्र विद्या को साधने वाले अघोरी रात के समय विशेष पूजा अनुष्ठान करते हैं और मां से आशीर्वाद के रूप में सिद्धियां प्राप्त करते हैं।
विशेष बात यह है कि मंदिर चारों दिशाओं से श्मशान से घिरा हुआ है। चारों दिशाओं में श्मशान होने के कारण मां को तंत्र की देवी के रूप में पूजा जाता है। इसके बावजूद भी मंदिर में एक तेज सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। मां बगलामुखी का रूप यहां अद्भुत है, जहां पीले रंग के वस्त्र और खड़ी हल्दी अर्पित की जाती है। यह देश का पहला मंदिर है जहां मां को प्रसन्न करने के लिए खड़ी हल्दी चढ़ाई जाती है।
मंदिर के पुजारियों का कहना है कि पीला रंग विजय का प्रतीक है, इसलिए मां को यह रंग अत्यंत प्रसन्न करता है।
मंदिर में मां बगलामुखी को त्रिदेवी कहा जाता है, क्योंकि मां बगलामुखी के एक तरफ मां लक्ष्मी और दूसरी तरफ मां सरस्वती विराजमान हैं। कष्टों से मुक्ति पाने के लिए मंदिर में कई प्रकार के अनुष्ठान किए जाते हैं, जिसमें बगलामुखी पूजन, अनुष्ठान जप, मंत्र साधना और भवन पूजन शामिल हैं। माना जाता है कि यहां किया गया हवन इतना शक्तिशाली होता है कि सारे कष्ट समाप्त हो जाते हैं। मां बगलामुखी का आशीर्वाद प्राप्त करने के बाद कष्ट दोबारा नहीं आ सकता है। यह मंदिर केवल तंत्र साधना का केंद्र नहीं, बल्कि भक्तों के दृढ़ विश्वास और आस्था का स्थल है।