क्या मध्य प्रदेश के डाक विभाग में भ्रष्टाचार का मामला है? सीबीआई कोर्ट ने तीन अधिकारियों को सजा सुनाई

सारांश
Key Takeaways
- भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई आवश्यक है।
- सरकारी पदों का दुरुपयोग गंभीर अपराध है।
- सीबीआई द्वारा की गई जांच में सबूतों का महत्व है।
- सभी को सरकारी धन के दुरुपयोग के प्रति जागरूक होना चाहिए।
- भ्रष्टाचार के मामलों में दंडित करने से प्रशासन में सुधार संभव है।
जबलपुर, 21 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। सीबीआई की विशेष अदालत, जबलपुर, ने मध्य प्रदेश के सागर जिले में डाक विभाग के तीन अधिकारियों को भ्रष्टाचार के मामले में दोषी करार देते हुए कठोर सजा सुनाई है।
अदालत का यह निर्णय 17 नवंबर 2022 को दर्ज किए गए मामले की विस्तृत सुनवाई के बाद आया।
सीबीआई ने 17 नवंबर 2022 को मामला दर्ज किया था। आरोप था कि 1 जनवरी 2020 से 5 जुलाई 2021 के बीच सागर जिले के बीना एलएसजी उप डाकघर में तैनात डाक सहायक (बाद में उप डाकपाल) विशाल कुमार अहिरवार, हेमंत सिंह और रानू नामदेव ने सरकारी पद का दुरुपयोग किया।
जांच में पाया गया कि आरोपियों ने कई खातों में हेरफेर कर फर्जी पासबुक जारी की और इस प्रक्रिया में सरकार को 1,21,82,921 रुपए का नुकसान पहुँचाया, जबकि स्वयं को अनुचित लाभ दिलाया।
जबलपुर की विशेष सीबीआई अदालत ने लंबी सुनवाई और साक्ष्यों के आधार पर तीनों आरोपियों को दोषी ठहराया।
तत्कालीन उप डाकपाल विशाल कुमार अहिरवार को 5 साल की कठोर कारावास और 39 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई गई। हेमंत सिंह को 4 साल की कठोर कारावास और 7 हजार रुपए जुर्माने की सजा दी गई।
इसी प्रकार, रानू नामदेव को भी 4 साल की कठोर कारावास और 7 हजार रुपए जुर्माने की सजा दी गई।
सीबीआई ने जांच पूरी करने के बाद 29 दिसंबर 2023 को तीनों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी।