क्या मध्य प्रदेश के स्कूल बदहाली का शिकार हैं?

सारांश
Key Takeaways
- सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी है।
- बदहाली के कारण बच्चों की सुरक्षा खतरे में है।
- शौचालयों की अनुपस्थिति शिक्षा के लिए बाधा है।
- कांग्रेस ने इस मुद्दे को उठाकर सरकार पर दबाव डाला है।
- स्कूलों की बुनियादी सुविधाओं में सुधार की आवश्यकता है।
भोपाल, 19 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में एक स्कूली छात्रा के साथ विद्यालय परिसर में हुए दुष्कर्म को लेकर कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी ने कड़ा हमला किया है और कहा है कि राज्य के सरकारी विद्यालय बदहाली का शिकार हो चुके हैं।
वास्तव में खंडवा के एक विद्यालय में शौचालय की कमी के कारण छात्रा को बाहर शौच के लिए जाना पड़ा, जहां उसे एक वहशी की हरकत का शिकार होना पड़ा। इसी मुद्दे पर कांग्रेस ने गंभीर सवाल उठाए हैं। पटवारी ने कहा कि मध्य प्रदेश में लाड़ली-उत्पीड़न की दर्दनाक कहानी को जानना आवश्यक है। यह संभव है कि गुमशुदा शर्म लौट आए और मृत संवेदनशीलता फिर से जीवित हो जाए।
उन्होंने कहा कि खंडवा ही नहीं, बल्कि समूचे प्रदेश के सरकारी विद्यालय बदहाली के गंभीर दौर में प्रवेश कर चुके हैं। कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष पटवारी ने जानकारी दी है कि प्रदेश में कुल सरकारी विद्यालय 92,695 हैं, जिनमें से 44,620 पद शिक्षकों के खाली हैं। इसके अतिरिक्त, 15,432 विद्यालय ऐसे हैं जहां केवल एक शिक्षक हैं। राज्य में 2,621 स्कूल ऐसे हैं जहां कोई शिक्षक नहीं है। साथ ही, 43,362 विद्यालयों में 50 से कम छात्र हैं। 8.19 प्रतिशत विद्यालय ऐसे हैं जहां शौचालय की व्यवस्था नहीं है।
पटवारी ने आगे कहा कि 3.24 प्रतिशत विद्यालयों में छात्रों के लिए शौचालय नहीं हैं। राज्य के 7,189 स्कूलों की इमारतों को मरम्मत की आवश्यकता है, और 1,916 स्कूलों में पुस्तकालय भी नहीं हैं। खेल के मैदान की स्थिति भी चिंताजनक है, क्योंकि 5,185 विद्यालयों में खेल मैदान नहीं हैं। 1,20,764 स्कूलों में डिजिटल लाइब्रेरी की कमी है। इसके अलावा, 7,966 स्कूलों में हैंडवॉश की सुविधा भी नहीं है। कांग्रेस ने लगातार राज्य में विभिन्न अव्यवस्थाओं को लेकर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस अपराध से लेकर स्वास्थ्य, शिक्षा आदि पर सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठा रही है।