क्या मध्य प्रदेश में पशुपालकों की आय में वृद्धि और किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास जारी हैं?: लखन पटेल
सारांश
Key Takeaways
- मध्य प्रदेश में गौवंश की संख्या में वृद्धि हो रही है।
- पशुपालकों के लिए सरकार द्वारा अनुदान राशि बढ़ाई गई है।
- स्वावलंबी गौशालाओं की नीति लागू की गई है।
- डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना शुरू की गई है।
- किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रयास जारी हैं।
भोपाल, 27 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश के पशुपालन एवं डेयरी राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) लखन पटेल ने बताया कि पशुपालकों की आय में वृद्धि और किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास निरंतर चल रहे हैं। राज्य में गौवंश की संख्या 1.87 करोड़ के पार जा चुकी है।
पटेल ने मीडिया से बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री मोहन यादव की अगुवाई में हमारा यह सतत प्रयास रहा है कि पशुपालन को आजीविका का एक मजबूत आधार बनाया जाए। हमारी सरकार ने गौवंश के संरक्षण और संवर्धन को प्राथमिकता देते हुए प्रदेश में निराश्रित पशुओं के लिए नवीन गौशाला नीति बनाई है।
उन्होंने कहा कि गौवंश की संख्या में मध्य प्रदेश का देश में दूसरा स्थान है। यहाँ के 1.87 करोड़ गौवंश में से लगभग 70 प्रतिशत अवर्णित नस्ल के हैं। शासन द्वारा निराश्रित गौवंश के व्यवस्थापन के लिए 2500 से अधिक गौशालाओं में चार लाख 75 हजार से अधिक निराश्रित गौवंश को आश्रय दिया गया है। इसके अलावा गौशालाओं में निराश्रित गौवंश के व्यवस्थापन हेतु दिए जाने वाले अनुदान की राशि 20 रुपये से बढ़ाकर 40 रुपये प्रतिदिन प्रति गौवंश की गई है। राज्य शासन ने गौशालाओं के अनुदान के बजट को 250 करोड़ प्रति वर्ष से बढ़ाकर 505 करोड़ कर दिया है, जिसमें से 369.02 करोड़ की राशि गौशालाओं को वितरित की जा चुकी है।
पटेल ने आगे कहा कि राज्य सरकार ने स्वावलंबी गौशालाओं (कामधेनु निवास) की स्थापना नीति 2025 लागू की है। निवेशकों को परियोजनाओं की स्थापना के लिए 5000 गौवंश के लिए अधिकतम 130 एकड़ भूमि का उपयोग दिया जाएगा। साथ ही प्रत्येक 1000 गौवंश की वृद्धि पर 25 एकड़ दी जा सकेगी। इस योजना में 20 स्वावलंबी गौशालाओं की स्थापना के लिए निविदा जारी की गई है।
उन्होंने कहा कि देश के दुग्ध उत्पादन में प्रदेश की भागीदारी को 9 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने के उद्देश्य से डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना प्रारंभ की गई है। एक हितग्राही को एक आवेदन पर एक इकाई (25 दुधारू पशु) या एक से अधिक इकाई (अधिकतम आठ इकाई, 200 दुधारू पशु) लेने की पात्रता होगी। योजना के अंतर्गत देशी नस्ल की गाय की इकाई की लागत 36 लाख रुपये और संकर नस्ल की गाय एवं भैंस की इकाई की लागत 42 लाख रुपये है।